ड्रॉपशिपिंग और एफिलिएट मार्केटिंग दोनों ही ऑनलाइन बिजनेस मॉडल हैं, जो बिना स्टॉक रखे कमाई का अवसर प्रदान करते हैं। हालांकि, इन दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइये इसके बारें में विस्तार से जानते हैं।
ड्रॉपशिपिंग (Dropshipping)
ड्रॉपशिपिंग एक ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल है, जिसमें व्यापारी (सेलर) बिना किसी उत्पाद को स्टॉक में रखे उसे ग्राहक तक पहुंचाता है। इसमें व्यापारी अपनी वेबसाइट या प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट लिस्ट करता है, लेकिन जब कोई ग्राहक ऑर्डर करता है, तो वह ऑर्डर सीधे थर्ड-पार्टी सप्लायर को भेज दिया जाता है। सप्लायर ही प्रोडक्ट की पैकेजिंग और शिपिंग का काम करता है। ड्रॉपशिपिंग का मुख्य लाभ यह है कि व्यापारी को इन्वेंट्री मैनेज करने, प्रोडक्ट खरीदने या स्टॉक रखने की आवश्यकता नहीं होती।
ड्रॉपशिपिंग के फायदे
- कम पूंजी में बिजनेस शुरू किया जा सकता है।
- स्टॉक और शिपिंग की चिंता नहीं होती।
- प्रोडक्ट की कीमत तय कर मुनाफा कमाने की आजादी।
एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing)
एफिलिएट मार्केटिंग एक ऐसा मॉडल है जिसमें व्यक्ति किसी कंपनी या ब्रांड के प्रोडक्ट्स और सर्विसेज का प्रमोशन करता है और जब भी उसके लिंक के जरिए कोई व्यक्ति खरीदारी करता है, तो उसे कमीशन मिलता है। एफिलिएट मार्केटर का काम सिर्फ प्रोडक्ट को प्रमोट करना होता है, शिपिंग और ग्राहक सेवा की जिम्मेदारी कंपनी की होती है।
एफिलिएट मार्केटिंग के फायदे
- कोई स्टॉक रखने या इन्वेस्टमेंट की जरूरत नहीं।
- कम समय में बड़े ब्रांड्स से जुड़ने का अवसर।
- हर सफल सेल पर कमीशन।
मुख्य अंतर
- ड्रॉपशिपिंग में: आप खुद सेलर होते हैं और अपनी कीमत तय करते हैं।
- एफिलिएट मार्केटिंग में: आप सिर्फ प्रमोटर होते हैं और कंपनी द्वारा तय कमीशन प्राप्त करते हैं।
दोनों मॉडल अलग-अलग रणनीति और मेहनत की मांग करते हैं, लेकिन सही प्लानिंग से दोनों में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।