एलेकजण्डर रत्न लाल एवं नीले मिश्रित रंग का होता है। यह भी अपना रंग बदलता है। यह रत्न भी नीलम का उपरत्न है और नीलम की तरह इसका भी जल्दी ही शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस रत्न को नीले रेशमी वस्त्र में 11 दिन तक पुरूष दाएं, महिला बाएं हाथ में बांधकर इसके प्रभाव को देखकर ही धारण करना उचित होगा।
एलेकजण्डर शनि के खराब प्रभाव को दूर करता है, शुभ को बढ़ाता है और नीलम वाले कार्य व्यवसाय में सफलता एवं लाभ देता है। तुला, मकर या कुंभ जन्म लग्न या राशि जिनकी हो उनको इस नग के धारण करने से अधिक लाभ व सफलता देता है। ज्योतिषाचार्यों ने जिनके जन्म कुंडली में सूर्य, शनि अथवा मंगल, शनि या तीनों ग्रह एक साथ बैठे होने पर इन तीनों को आपस में एक दूसरे को देखने पर इस नग को धारण कराया तो उन्हें बहुत अच्छा लाभ मिला।
मेष या सिंह राशि में सूर्य शनि होने पर अथवा मेष, वृश्चिक या मकर में मंगल शनि होने पर इस रत्न के धारण करने से बहुत अधिक शुभ प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य एवं शरीर रक्षा होती है। सम्मान व धन लाभ मिलता है। ज्योतिषाचार्यों ने इस रत्न को सोमवार या शिनवार दिन तथा हस्त या श्रवण नक्षत्र के योग में लोगों को मध्यमा उंगली में धारण कराया जिससे अधिकतर लोगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। कुछ रत्न पारखियों का मत है कि यह रत्न नीलम के अलावा दिन में पन्ने का प्रभाव और रात्रि में माणिक्य का प्रभाव डालता है।
यह भी पढ़ें- लाजवर्त रत्न राहु, केतु के बुरे असर को करता है दूर
यह भी पढ़ें- Wear Herb: रत्न-उपरत्न के बदले धारण करें जड़ी बूटी
डिस्कलेमर: धर्म संग्रह, ज्योतिष, स्वास्थ्य, योग, इतिहास, पुराण सहित अन्य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशित व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभिन्न प्रकार के स्त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्योतिष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इस सामग्री को Viewers की दिलचस्पी को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है, जिसका कोई भी scientific evidence नहीं है।