भारत में मानसून की शुरुआत केरल से होती है, और इसके पीछे कई भौगोलिक और मौसमीय कारण होते हैं। मानसून का मतलब है मौसमी हवाएं जो हर साल एक नियमित चक्र में भारत में बारिश लेकर आती हैं। यह चक्र सामान्यतः जून से सितंबर तक चलता है। आइए समझते हैं कि सबसे पहले मानसून केरल में क्यों आता है।
भौगोलिक स्थिति
केरल भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है। इसकी स्थिति अरब सागर के निकट है, जिससे मानसूनी हवाओं को सबसे पहले केरल के तट पर पहुँचने का रास्ता मिलता है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं अरब सागर से नमी को उठाकर भारत के दक्षिणी तटों पर सबसे पहले बरसात लाती हैं।
अरब सागर की भूमिका
अरब सागर का जल बहुत जल्दी गर्म हो जाता है, जिससे हवा में नमी का स्तर बढ़ जाता है। जब गर्म हवा ऊपर उठती है, तो ठंडी और भारी हवाएं उसकी जगह लेने के लिए आती हैं, जिससे मानसूनी हवाएं बनती हैं। यह हवाएं सबसे पहले केरल के तट पर पहुँचती हैं।
पश्चिमी घाट का प्रभाव
केरल के तट के पास पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला स्थित है। जब मानसूनी हवाएं इन पहाड़ियों से टकराती हैं, तो वे ऊपर उठती हैं और ठंडी होकर बारिश के रूप में बदल जाती हैं। यह प्रक्रिया ओरोग्राफिक वर्षा कहलाती है, जिससे केरल में भारी बारिश होती है।
अक्षांशीय स्थिति
केरल लगभग 8° उत्तरी अक्षांश पर स्थित है, जो इसे भूमध्य रेखा के काफी निकट लाता है। भूमध्य रेखा के निकट होने के कारण यहां तापमान और जलवायु में स्थायित्व रहता है, जो मानसूनी हवाओं को आकर्षित करने में मदद करता है।
ITCZ (Intertropical Convergence Zone) का प्रभाव
ITCZ एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध की हवाएं मिलती हैं। गर्मियों में, यह क्षेत्र उत्तर की ओर खिसक जाता है और भारत के दक्षिणी तटों को प्रभावित करता है। इस क्षेत्र के कारण दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं केरल तक पहुँचती हैं और बारिश का कारण बनती हैं।
मानसून की गति और दिशा
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं हिंद महासागर से उत्तर-पूर्व की दिशा में चलती हैं। केरल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ये हवाएं सबसे पहले वहीं पहुँचती हैं। इसके बाद यह हवाएं धीरे-धीरे उत्तर और पूर्व की ओर बढ़ती हैं और पूरे भारत में फैल जाती हैं।
समुद्र और धरती के तापमान में अंतर
गर्मी के महीनों में, धरती तेजी से गर्म हो जाती है जबकि समुद्र धीरे-धीरे गर्म होता है। इससे तापमान में बड़ा अंतर उत्पन्न होता है। यह अंतर मानसूनी हवाओं को खींचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अरब सागर के पास स्थित केरल इस प्रक्रिया से सबसे पहले प्रभावित होता है।
मौसम विभाग और आंकड़े
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून केरल में आमतौर पर 1 जून के आसपास आता है। यह अनुमान दशकों के आंकड़ों और वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है। IMD हर साल मानसून की भविष्यवाणी करता है और इसके आगमन की तिथि की पुष्टि करता है।
इन सब कारणों से, केरल को मानसून का पहला स्वागत करने का सौभाग्य मिलता है। मानसून के आगमन के साथ ही केरल की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है। केरल के लोगों के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह कृषि और जल आपूर्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, मानसून का आगमन यहां एक उत्सव की तरह मनाया जाता है।
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