Sunday, July 13, 2025

घर के सामने बबूल का पेड़ क्यों मानी जाती है अशुभ निशानी? जानें वास्तु और स्वास्थ्य के अनुसार कारण

भारतीय संस्कृति में वृक्षों को केवल पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में भी देखा जाता है। जैसे तुलसी, पीपल और नीम को शुभ माना गया है, वहीं कुछ पेड़ जैसे बबूल (Acacia) को नकारात्मक ऊर्जा का संकेतक माना जाता है, खासकर जब ये घर के मुख्य द्वार के सामने स्थित हो। बबूल का पेड़ कांटेदार और शुष्क होता है, जो वास्तुशास्त्र में शांति और समृद्धि के रास्ते में अवरोधक माना गया है।

वास्तु शास्त्र में बबूल को क्यों माना गया है अशुभ?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार के सामने कोई कांटेदार वृक्ष होना ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करता है। बबूल एक ऐसा ही पेड़ है, जिसके तीखे कांटे और कठोर प्रकृति नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। इसका स्थान घर के आसपास होने से पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव, और बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। विशेष रूप से यह घर में स्थायी सुख-शांति और समृद्धि को प्रभावित करता है। यदि यह मुख्य द्वार के ठीक सामने हो तो यह आर्थिक समस्याएं और अवसरों में रुकावट भी ला सकता है। इसलिए इसे हटाकर तुलसी, अशोक या आम्र वृक्ष लगाना वास्तु सम्मत माना गया है।

मानसिक ऊर्जा और बबूल-मनोवैज्ञानिक प्रभाव

बबूल के कांटेदार स्वरूप और घने रूप को देखने मात्र से ही कई बार व्यक्ति के भीतर असहजता, चिड़चिड़ापन या नकारात्मक विचार आने लगते हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से जब हमारा दैनिक सामना किसी कठोर और शुष्क तत्व से होता है, तो उसका प्रभाव हमारे अवचेतन मन पर पड़ता है। यदि घर के बाहर हर रोज बबूल का पेड़ देखने को मिले, तो व्यक्ति का मन शांत रहने की बजाय अशांत हो सकता है। यह अवचेतन रूप से गुस्सा, चिंता या घबराहट की स्थिति को बढ़ा सकता है। इसीलिए, सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए ऐसे वृक्षों से दूरी बनाए रखना आवश्यक माना जाता है।

स्वास्थ्य के लिहाज से बबूल के खतरे

बबूल का पेड़ जहां एक ओर आयुर्वेद में कुछ औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसका घर के पास होना कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण भी बन सकता है। इसकी पराग (pollen) और धूल एलर्जी, सांस की समस्याएं और आंखों में जलन जैसी दिक्कतें पैदा कर सकती हैं। गर्मियों में इसका क्षेत्र अधिक शुष्क हो जाता है, जिससे आसपास की हवा भारी और गर्म हो जाती है। यह बच्चों, बुज़ुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अतः घर के बहुत समीप इस पेड़ को रखना स्वास्थ्य दृष्टि से भी उचित नहीं है।

बबूल और पारिवारिक कलह

कई वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि बबूल का पेड़ घर के समीप होने पर वहां रहने वालों के रिश्तों में तनाव आ सकता है। यह वृक्ष “तामसिक ऊर्जा” का प्रतीक माना जाता है जो घर के वातावरण को भारी बना सकता है। इसके प्रभाव से पारिवारिक सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बातों पर बहस या मनमुटाव हो सकता है। यदि आपके घर में पिछले कुछ समय से रिश्तों में खटास या अशांति का अनुभव हो रहा है, तो यह बबूल के पेड़ की उपस्थिति से भी जुड़ा हो सकता है। सकारात्मक पारिवारिक ऊर्जा बनाए रखने के लिए इसे हटाना लाभदायक हो सकता है।

किन वृक्षों से मिलती है शुभता और ऊर्जा?

यदि आप अपने घर के सामने शुभता और शुद्ध ऊर्जा चाहते हैं, तो बबूल की जगह इन वृक्षों को लगाना बेहतर होगा।

तुलसी-सकारात्मक ऊर्जा और शुद्ध वातावरण के लिए।

आंवला-आयुर्वेदिक दृष्टि से लाभकारी।

आम्र (आम)-समृद्धि और छाया के प्रतीक।

अशोक-मानसिक शांति और पारिवारिक सुख बढ़ाता है।

पीपल-आध्यात्मिक और वातावरण शुद्ध करने वाला वृक्ष।

इन पेड़ों को लगाने से न सिर्फ घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।

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Amit Mishra
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अमित मिश्रा को मीडिया के विभ‍िन्‍न संस्‍थानों में 15 वर्ष से ज्‍यादा का अनुभव है। इन्‍हें Digital के साथ-साथ Print Media का भी बेहतरीन अनुभव है। फोटो पत्रकारिता, डेस्‍क, रिपोर्ट‍िंंग के क्षेत्र में कई वर्षों तक अमित मिश्रा ने अपना योगदान दिया है। इन्‍हें तस्‍वीरें खींचना और उनपर लेख लिखना बेहद पसंद है। इसके अलावा इन्‍हें धर्म, फैशन, राजनीति सहित अन्‍य विषयों में रूच‍ि है। अब वह TheConnect24.com में बतौर डिज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं।
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