अधिपति ग्रह-बुद्ध यह रूद्राक्ष चतुर्मुख ब्रह्मा स्वरूप है। चारमुखी रूद्राक्ष के धारणकर्ता की आंखों में तेजस्विता, वाणी में मधुरता तथा शरीर में स्वास्थ्य एवं आरोग्यजनित कान्ति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे व्यक्ति जहां भी होते हैं, उनके चतुर्दिक सम्मोहन का प्रभाव मण्डल निर्मित हो जाता है।
इस रूद्राक्ष पर बुध ग्रह का नियंत्रण होता है। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को युवराज कहा जाता है। यह नपुंसक तथा सौम्य ग्रह है। बुध ग्रह विद्या, गणित, ज्ञान, लेखन, ज्योतिष, वाणिज्य, त्वचा, गॉल ब्लाडर, नाड़ी संस्थान इत्यादि का कारक है। बुध ग्रह की प्रतिकूलता से इन सबों में प्रतिकूलता और अनियमितता आती है।
बुध ग्रह के सदोष होने पर अपरमपार, मानसिक रोग, पक्षाघात, पीतज्वर, नासिका रोग, दमा आदि होते हैं। इस सभी के निदान के लिये चारमुखी रूद्राक्ष का धारण अत्यंत ही लाभप्रद है। व्यापारियों के लिये चारमुखी रूद्राक्ष विशेष फल देने वाला माना जाता है। जिनकी राशि मिथुन और कन्या है उन्हें तो ये रूद्राक्ष आवश्यक रूप से अवश्य धारण करना ही चाहिये। मिथुन और कन्या राशि वालों को तो चारमुखी रूद्राक्ष आवश्यक रूप से प्रयोग करना चाहिये।
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