छत्रपति शाहू जी महाराज का जन्म 26 जून 1874 को हुआ था। उनका पूरा नाम यशवंतराव शाहू छत्रपति था और वे कोल्हापुर राज्य के महाराज थे। शाहू जी महाराज भारतीय समाज सुधारकों में से एक प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने समाज में समानता और न्याय के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
शाहू जी महाराज ने अपने शासनकाल में शिक्षा, जाति प्रथा, महिला सशक्तिकरण और किसानों के उत्थान के लिए अनेक कदम उठाए। उन्होंने कोल्हापुर राज्य में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य की और जाति, धर्म और लिंग के भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई स्कूलों की स्थापना की। उनके प्रयासों के कारण दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।
शाहू जी महाराज ने जाति प्रथा के खिलाफ भी कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने अछूतों के लिए मंदिरों के द्वार खोले और उन्हें सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिलाने का कार्य किया। उनके शासनकाल में दलितों को भी समान अधिकार और सम्मान मिलने लगा।
कृषि क्षेत्र में भी शाहू जी महाराज ने महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था की और कृषि उपज के उचित मूल्य दिलाने के लिए मंडियों की स्थापना की। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
महिला सशक्तिकरण के लिए शाहू जी महाराज ने कई प्रयास किए। उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ कानून बनाए और विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए उन्होंने कई योजनाएं शुरू कीं।
धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी शाहू जी महाराज का योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने धार्मिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए और समाज में भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया।
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छत्रपति शाहू जी महाराज का निधन 6 मई 1922 को हुआ, लेकिन उनके द्वारा किए गए समाज सुधार के कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनके जीवन और कार्यों से हमें सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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