छहमुखी रूद्राक्ष शिव पुत्र गणेश और कार्तिकेय स्वरूप है। इसे धारण करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है और धन-ऐश्वर्य से भरे-पूरे रहते हैं। इसमें गणेश और कार्तिकेय स्वरूप होने के कारण इसके धारणकर्ता के लिये गौरी (पार्वती) विशेष रूप से वरदायिनी और माता की भांति सदैव सुलभ रहती हैं।
छहमुखी रूद्राक्ष का नियंत्रक और संचालक ग्रह शुक्र है, जो भोग-विलास और सुख-सुविधा का प्रतिनिधि है। शुक्र ग्रह गुप्तन्द्रिय, पुरूषार्थ, काम-वासना, उत्तम भोग्य-वस्तु, प्रेम संगीत, भागीदारी इत्यादि का कारक है। शुक्र ग्रह के दुष्प्रभाव से नेत्र रोग, यौन रोग, मुख रोग, मूत्र रोग और जलशोध आदि रोग होते हैं।
इन सभी रोगों के निदान और निवारण के लिए छहमुखी रूद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिये। जिन लोगों को राशि वृष और तुला है, उनके लिये छहमुखी रूद्राक्ष विशेष लाभदायक है।
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