Monday, May 20, 2024

जान‍िए रूद्राक्ष पूजन, धारण करने की संपूर्ण विध‍ि

रूद्राक्ष का पूजन और धारण दोनो ही समान फलदायी है, जो बंधु किसी कारण रूद्राक्ष को धारण न कर सकें वे रूद्राक्ष का पूजन कर सकते हैं। पूजन के लिये रूद्राक्ष का जोड़ा रखना आवश्‍यक है। रूद्राक्ष दानों की चांदी, पीतल की डब्‍बी में सिंदूर के साथ रखकर अपने पूजा स्‍थल पर अथवा गल्‍ले में सोमवार को रखें, धूप-दीप दिखावें। पूजन करने से चमत्‍कारिक लाभ की अनुभूति होगी।

रूद्राक्ष धारण विध‍ि 

किसी भी मुख के रूद्राक्ष को या रूद्राक्ष माला को धारण करने का सर्वाधिक श्रेष्‍ठ दिन सोमवार है। रूद्राक्ष धारण करने से पूर्व धारणकर्ता को चाहि‍ये कि वो पहले रूद्राक्ष अथवा माला को श्रेष्‍ठ विद्वान से विधिवत सिद्ध कराकार अपने नाम के अनुसार प्राण-प्रतिष्‍ठ‍ित अवश्‍य करा लें तभी रूद्राक्ष पूर्ण प्रभावी होता है। ऐसा न हो कि कहीं से भी खरीदकर गले में धारण कर लें।

धारण करने से पूर्व

पुष्‍प योग अथवा सोमवार के दिन प्रात: स्‍नान आदि से निवृत होकर अपने घर के पूजा स्‍थान में रूद्राक्ष अथवा रूद्राक्ष माला को रखकर उस पर पुष्‍प, अक्षत अर्पित करें, धूप-दीप जलाकर भगवान शिव का स्‍मरण करते हुए मंत्र सिद्ध चैतन्‍य रूद्राक्ष, रूद्राक्ष कवच को गले में धारण कर लें। इसके पश्‍चात अपनी दिनचर्या शुरू कर दें।

डि‍स्‍कलेमर: धर्म संग्रह, ज्‍योति‍ष, स्‍वास्‍थ्‍य, योग, इति‍हास, पुराण सहि‍त अन्‍य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशि‍त व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभि‍न्न प्रकार के स्‍त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधि‍त सत्‍यता की पुष्‍ट‍ि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्‍योति‍ष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्‍य लें। इस सामग्री को Viewers की दि‍लचस्‍पी को ध्‍यान में रखकर यहां प्रस्‍तुत किया गया है, जिसका कोई भी scientific evidence नहीं है।

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