हीरा मेष लग्न के जातकों को नहीं धारण करना चाहिए। क्योंकि इनके शुक्र दूसरे भाव वृष एवं सातवां स्वामी है। जो मारकेश दशा कारक है और मेष स्वामी मंगल का मित्र भी नहीं है। इसलिये हीरा धारण करने से धन हानि, मुंह, आंख, नासिका में कोई कष्ट, किसी से विवाद करा सकता है। शत्रु भय अधिक होगा।
हीरा धारण करने से शरीर में चर्म विकार, सफेद दाग आदि व्याधि पैदा हो सकती है। पत्नी के लिये ठीक रहेगा, पिता के लिये भी ठीक रहेगा किन्तु मां और संतानों को कष्ट व उनसे असंतोष पैदा करा सकता है। यदि इनके द्वितीय भाव वृष में सप्तम भाव तुला में, दसवें भाव मकर में शुक्र हो तो शुक्र की दशा में हीरा धारण करने से सफलता व लाभ जरूर मिलेगा।
इनको श्वेत रेशमी कपड़े में एक या दो हफ्ते हीरा हाथ में बांधकर उसके प्रभाव को देखकर धारण करना चाहिये। इनको शुक्रवार भरणी या पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के योग में लगभग पांच से सात रत्ती वजन का मध्यमा या कनिष्ठा उंगली में धारण करना चाहिये। ये लोग रैनवो, ओपल, सफेद हकीक या शुक्र की जड़ी-बूटी तंत्र का प्रयोग कर सकते है।
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