मौजूदा समय में हमारे सामने जितनी कृत्रिम दवाएं मौजूद हैं उतनी किसी भी युग में नहीं थी। प्रत्येक बीमारी की एक से अधिक दवाएं मौजूद हैं, फिर भी न तो बीमारिया कम हुई हैं, न दर्द ही। सच तो यह है कि इन्हीं दवाओं से नई-नई ऐसी बीमारियांं पैदा हुई हैं, जो कभी थी ही नहीं। हम दावे से घोषणा कर सकते हैं कि हमारी सभ्यता ने, हमारे ज्ञान-विज्ञान ने केवल दवाओं का ही आविष्कार नहीं किया है बल्कि हमने मानव को नई-नई बीमारियां भी दी हैं।
हमारी इस आधुनिक सभ्यता को, सुविधाभोगी मन को इतनी फुरसत ही कहां है जो हम इसका कारण खोजने बैठें। आखिर वह कौन सा प्राकृतिक नियम है, जो हमारे विकास के विरूद्ध कार्य कर रहा है ?
वास्तव में जैसे ही कोई सुविधा बढ़ती है, दवा बढ़ती है, वैसे ही हमारे बीमार होने की क्षमता भी बढ़ जाती है। हमारा भरोसा अपने आप पर से उठ जाता है और दवा पर बढ़ जाता है। फिर हमारी आंतरिक क्षमताएं बीमारी से नहीं लड़ती दवाएं लड़ती हैं। दवाएं लड़ती हैं तो बीमारी दुबककर रह जाती है और हमारा आत्मविश्वास लज्जित होकर बाहर भाग खड़ा होता है।
शरीर का स्वाभाव है कि वह किसी भी विजातीय पदार्थ या व्यवस्था का विरोध करे, उसे शरीर में प्रविष्ट होने पर शीघ्र ही निकाल बाहर करे। दवा के कारण आपको प्रतिरोधक शक्ति कुछ समय बाद निष्क्रिय हो जाती है। इसीलिए आप प्रतिदिन निस्तेज और अशक्त होते चले जाते हैं।
यह जो लड़ाई है, यह तो बीमारी और दवा के बीच संघर्ष है, आप तो इनसे बाहर हैं। आप तो सिर्फ ‘कुरूक्षेत्र’ हैं, जहां कौरव और पांडव लड़ते हैं। वहां तो बीमारियों के कीटाणुओं और दवा के जीवाणुओं की लड़ाई चल रही है। लड़ते वे हैं और पिटते आप हैं। दोनों ही आपको पीटते हैं, क्योंकि आप तो सिर्फ कुरूक्षेत्र हैं। ऐसे में पिटना ही आपकी नियति है।
पहले बीमारियां आपको मारती हैं, बाद में जो कुछ भी बचा-खुचा होता है उन्हें दवाइयां मारती है। आज का चिकित्सक बहुत अधिक व्यावसायिक हो गया है। उससे भी अधिक वह चालाक हो गया है। वह अपने रिश्तेदारों को भी नहीं छोड़ता, भला आपको क्या छोड़ेगा। आप ही तो उसकी रोजी-रोटी हैं। आप ही तो उसकी जागीर हैं। वह अपनी दवाओं, बातों और व्यवस्थाओं से इतना अवश्य करता है कि आपको जल्दी मरने नहीं देता। वह आपको दूसरी बीमारियों के लिए जिंंदा रखता है।
जिस दिन दुनिया में कोई दवा न होगी, उसी दिन बीमारियां मिट सकती हैं, लेकिन यह बात आपकी समझ में नहीं आएगी। जरा सोचिए, जिस दिन दवा न होगी उस दिन उसके अभाव में आपकी आंतरिक ऊर्जा को उस बीमारी से लड़ना पड़ेगा। इससे आपकी क्षमता बढ़ेगी, सुस्ती भागेगी और शक्ति जागेगी।
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