भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के उन पवित्र स्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां उनकी दिव्य शक्ति का वास है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की अपनी अनूठी उत्पत्ति की कथा और महत्व है। ये सभी शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और पूजनीय माने जाते हैं। यहाँ हम इन 12 ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति, रहस्य और महत्व पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रदेव को अपने ससुर प्रजापति दक्ष द्वारा श्रापित होने के बाद मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना करनी पड़ी। शिव की कृपा से चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति मिली और यहाँ शिवलिंग की स्थापना हुई। इसे सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। यह माना जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती अपने पुत्रों, कार्तिकेय और गणेश के बीच हुए विवाह विवाद के बाद यहाँ निवास करने आए थे। यहाँ शिव और पार्वती एक साथ विराजमान हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह माना जाता है कि शिव ने यहाँ काल रूप धारण कर अपने भक्तों की रक्षा की थी। महाकालेश्वर का स्वरूप भयावह और अजेय माना जाता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
नर्मदा नदी के किनारे स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मुनि मंडल के तपस्या से प्रसन्न होकर यहाँ प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा महाभारत काल से जुड़ी है। पांडवों ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए शिव की आराधना की थी और शिव ने उन्हें दर्शन देने के लिए केदारनाथ में प्रकट हुए थे।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे जिले में स्थित है। यह माना जाता है कि भगवान शिव ने भीम नामक राक्षस का वध कर यहाँ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को सबसे पवित्र माना जाता है। यह कहा जाता है कि यहाँ मृत्यु को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव स्वयं यहाँ निवास करते हैं।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
नासिक में स्थित त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार, गौतम ऋषि ने यहाँ तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया था और उनकी कृपा से ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
बैद्यनाथ धाम, जिसे देवघर भी कहा जाता है, झारखंड में स्थित है। यह माना जाता है कि रावण ने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न कर यहाँ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
द्वारका के पास स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार, एक भक्त ने शिव की आराधना कर दुष्ट राक्षस से मुक्ति पाई थी।
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
रामेश्वरम में स्थित यह ज्योतिर्लिंग भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था। यह कहा जाता है कि राम ने लंका पर आक्रमण से पहले शिव की पूजा कर यह ज्योतिर्लिंग स्थापित किया था।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
औरंगाबाद जिले में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार, एक भक्त महिला ने अपने मृत पुत्र को पुनः जीवन दिलाने के लिए शिव की आराधना की थी और शिव ने प्रसन्न होकर यहाँ प्रकट हुए थे।
महत्व
इन ज्योतिर्लिंगों का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। ये स्थान भक्तों को आस्था, शक्ति और शांति का अनुभव कराते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करने से भक्तों को शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके कष्टों का निवारण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा और दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इन 12 ज्योतिर्लिंगों की कथाएँ और उनका महत्व भारतीय संस्कृति और धर्म में गहराई से जुड़ा हुआ है। वे न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि भारतीय इतिहास, पौराणिक कथाओं और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं।
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