Tuesday, April 15, 2025

नेपाल का नया करेंसी नोट: भारत-नेपाल रिश्तों पर असर, चीन की भूमिका पर सवाल

नेपाल द्वारा हाल ही में जारी किया गया सौ रुपए का नया नोट, जिसमें उत्तराखंड के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी जैसे भारतीय क्षेत्रों को शामिल दिखाया गया है, दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बन गया है। यह निर्णय भारत-नेपाल संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है, खासकर तब जब इस नोट की छपाई चीन की सरकारी कंपनी “चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन” द्वारा की जा रही है।

यह नोट एक तरह से नेपाल का नया नक्शा प्रस्तुत करता है, जिसमें विवादित क्षेत्र शामिल किए गए हैं। नेपाल के इस कदम से भारत में नाराजगी दिख रही है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है। भारत और नेपाल दोनों इस 372 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं, लेकिन इसे नेपाल की करेंसी पर दिखाना भारत की संप्रभुता के लिए चुनौती माना जा रहा है।

नेपाल के सेंट्रल बैंक द्वारा चीनी कंपनी को नोट छापने का ठेका दिए जाने से दोनों देशों के संबंधों में पहले से चल रहे सीमा विवाद के और गहरा होने की संभावना है। मई में पुष्प कमल दहल की सरकार ने इस निर्णय को मंजूरी दी थी, और अब इसे जारी किया जा रहा है। कोविड के समय भी नेपाल ने इसी तरह का विवादित नक्शा जारी किया था, जिस पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज किया था।

चीन के साथ करेंसी प्रिंटिंग का यह समझौता संदेह बढ़ा रहा है और इस निर्णय ने काठमांडू और दिल्ली के बीच राजनीतिक तनाव को एक नई दिशा दे दी है।

नोट ने बढ़ाई दूरी

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद लगभग सौ साल पुराना है, जिसका इतिहास 1815 की सुगौली संधि से जुड़ा है, जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत थी। इस संधि के तहत काली नदी को दोनों देशों की सीमा का आधार मानते हुए नदी के पश्चिम में भारत और पूर्व में नेपाल का अधिकार माना गया। लेकिन काली नदी का वास्तविक उद्गम स्थल विवाद का कारण बना रहा है। कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र में नदी का उद्गम स्थल स्पष्ट न होने के कारण भारत और नेपाल दोनों ही इन क्षेत्रों पर दावा करते रहे हैं।

यह क्षेत्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है और दशकों से भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में आता है। यहां के निवासियों के पास भारतीय पहचान पत्र हैं, और वे भारतीय नागरिक होने के नाते भारत को टैक्स भी भरते रहे हैं। हालांकि, नेपाल ने 2020 में नया राजनीतिक नक्शा जारी कर कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने क्षेत्र का हिस्सा दिखाया, जिससे दोनों देशों के बीच विवाद और गहरा हो गया। इस बीच, नेपाल की चीन पर बढ़ती निर्भरता को भी इस विवाद में एक महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है।

नेपाल ने हाल ही में एक चीनी कंपनी को सौ रुपए के नोट छापने का ठेका दिया, जिसमें विवादित क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। इस निर्णय को काठमांडू पर चीन के बढ़ते प्रभाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत के प्रति तनाव को हवा दे सकता है। चीन और भारत के बीच पहले से ही सीमा विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा चल रही है, और चीन लगातार भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है। नेपाल को चीन से बड़ा कर्ज मिलने और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के तहत बड़े निवेशों के चलते काठमांडू में चीन का प्रभाव बढ़ा है।

यह विवादित क्षेत्र भले ही छोटा हो, लेकिन सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत, नेपाल और चीन के त्रि-जंक्शन पर स्थित है। यहां से चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखना भारत के लिए आसान है। 1960 के दशक में युद्ध के दौरान भारत ने इस क्षेत्र में सेना तैनात की थी, और अब भी यहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की तैनाती है।

साझा सीमाओं के चलते चीन और नेपाल के बीच भी सीमा विवाद रहा है, जो 1960 के दशक में सीमा समझौते पर हस्ताक्षर के साथ सुलझा लिया गया। हालांकि, नेपाल के मामले में चीन का हस्तक्षेप भारत-नेपाल संबंधों में लगातार तनाव का कारण बनता जा रहा है।

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Amit Mishra
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अमित मिश्रा को मीडिया के विभ‍िन्‍न संस्‍थानों में 15 वर्ष से ज्‍यादा का अनुभव है। इन्‍हें Digital के साथ-साथ Print Media का भी बेहतरीन अनुभव है। फोटो पत्रकारिता, डेस्‍क, रिपोर्ट‍िंंग के क्षेत्र में कई वर्षों तक अमित मिश्रा ने अपना योगदान दिया है। इन्‍हें तस्‍वीरें खींचना और उनपर लेख लिखना बेहद पसंद है। इसके अलावा इन्‍हें धर्म, फैशन, राजनीति सहित अन्‍य विषयों में रूच‍ि है। अब वह TheConnect24.com में बतौर डिज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं।
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