Monday, May 20, 2024

प्राकृतिक चिकित्‍सा: शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए ये पांच मुद्राएं हैं बेहद कारगर

प्राकृतिक चिकित्‍सा के अनुसार हम शरीर को किसी भी बीमारी का इलाज प्रकृति के पांच तत्‍वों से ही कर सकते हैं, जिनसे हमारा शरीर भी बना हुआ है। वे तत्‍व हैं पृथ्‍वी, जल, वायु, आकाश और अग्‍न‍ि। इन तत्‍वों का असंतुलन बीमारी उजागर करता है और इनके संतुलन में आते ही बीमारी दूर हो जाती है। हमारे हाथों की उंगल‍ियों में पांचों तत्‍व निह‍ित हैं और हाथ की मुद्राओं में उन्‍हें संतुल‍ित बनाने की शक्‍त‍ि। आज हम कुछ ऐसी ही मुद्राओं के संबंध में आपसे चर्चा करेंगे जिन्‍हें करने से शरीर की बीमारियां दूर हो सकती हैं। 

अपान वायु मुद्रा

इस मुद्रा में तर्जनी यानी इंडेक्‍स फिंगर को अंगूठे के मूल में टि‍का कर मध्‍यमा और अनामि‍का यानी रिंग फिंगर को अंगूठे के आगे वाले भाग पर टिका दें। इस दौरान छोटी उंगली को सीधा खड़ा रखें। इस मुद्रा को पांच से दस मिनट तक प्रति‍दि‍न करें। इससे पेट की गैस समाप्‍त है, सिर दर्द व सांस की बीमारी यानी दमे की बीमारी में लाभ मिलता है। जिन्‍हें उच्‍च रक्‍त चांप की बीमारी हो उनके लिए यह हस्‍त मुद्रा अत्‍यंत लाभदायक है।

पृथ्‍वी मुद्रा

इस मुद्रा में आपको अंगूठे के आगे के भाग से अनामिका के अग्र भाग को छूना है, बाकी उंगलियां सीधे खड़ी रखनी है। इस मुद्रा का लाभ यह है कि जिस इंसान को खाना-पानी शरीर में नहीं लगता हो, शरीर पतला हो, तो भर जाता है। कह सकते हैं कि मोटे होने के लिए यह मुद्रा उचित है। मोटे लोग इसे बिल्‍कुल न करें। इससे शरीर में स्‍फूर्त‍ि और चेहरे पर रौनक आती है। दिमाग शांत करती है।

सूर्य मुद्रा

यह मुद्रा पृथ्‍वी मुद्रा जैसी है लेकिन बिल्‍कुल विपरीत है। इस मुद्रा में आपको अंगूठे के आगे के भाग से अनामिका के अग्र भाग को छूना नहीं, बल्कि दबा कर हथेली पर टिकाना है, बाकी सारी उंगलियां सीधे खड़ी रखनी है। इस मुद्रा का असर भी पृथ्‍वी से विपरीत है अर्थात इसे करने से मोटापा घटता है। शरीर संतुलित होता है, तनाव में कमी आती है, शक्‍त‍ि बढ़ती है। अगर शुगर व जिगर के रोगी इसे लगातार करते रहें तो उन्‍हें लाभ मिलेगा।

वरूण मुद्रा

कनिष्‍ठा यानी लिटल फिंगर को अंगेठे के आगे के भाग को केवर छुएं, बांकी तीनो उंगलियां सीधी रखें। इस मुद्रा में बाकी तीनों उंगलियां सीधी नहीं हो पाएंगी। परंतु मुद्रा तभी पूरी होगी या उससे लाभ मिलेगा, जब मुद्रा पूरी बनाई जाए। इस मुद्रा से शरीर की चमक व कांति बढ़ती है, रूखापन समाप्‍त होने लगता है। त्‍वचा सुंदर व चमकीली बन जाती है। जिस इंसान को जल तत्‍व की कमी से रोग हो उन्‍हें इस मुद्रा से लाभ होगा। यह मुंहासों को भी समाप्‍त करती है। कहा  जा सकता है कि यह सौंदर्य बढ़ाने की मुद्रा है।

अपान मुद्रा

यह अपान वायु जैसी मुद्रा है, पर थोड़ा सा अंतर है। अपान वायु मुद्रा में मध्‍यमा और अनामिका यानी रिंग फिंगर को अंगूठे के आगे वाले भाग पर टि‍काते हैं और छोटी उंगली व तर्जनी दोनो उंगलियों को सीधा खड़े रखते हैं। इससे कब्‍ज दूर होता है, इससे नाड़ी की शुद्ध‍ि होती है, बवासीर में लाभ मिलता है। शुगर के रोगियों के लिए लाभप्रद मुद्रा है। इसे करने से पसीना आने लगता है लेकिन आप घबराएं नहीं। इससे बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। इससे पेट साफ होगा। हर मुद्रा को दिन में दो या तीन बार भी कर सकते हैं। जब समस्‍या उत्‍पन्न हो और आप ये मुद्राएं करने लगें तो तुरंत असर नहीं हो सकता। इन्‍हें लगातार नियम से करें तभी लाभ मिलेगा।  

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