भगवान विष्णु को नारायण कहे जाने का प्रमुख कारण उनका जल में निवास करना है, जैसा कि प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में उल्लेखित है। इसके अलावा, भगवान विष्णु के अन्य नाम उनके विभिन्न रूपों, लीलाओं और गुणों को दर्शाते हैं। प्रत्येक नाम का एक विशिष्ट अर्थ और महत्व है, जो भगवान विष्णु की महिमा और शक्ति को प्रकट करता है।
भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण
‘नारायण’ शब्द संस्कृत के ‘नार’ और ‘अयन’ शब्दों से मिलकर बना है। ‘नार’ का अर्थ है जल और ‘अयन’ का अर्थ है निवास। इस प्रकार, नारायण का अर्थ हुआ ‘जो जल में निवास करता है’। पुराणों के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में जब सब कुछ जलमग्न था, तब भगवान विष्णु क्षीरसागर में अनंत शेषनाग पर शयन करते हुए निवास करते थे। इसीलिए उन्हें नारायण कहा जाता है।
भगवान विष्णु के अन्य नाम और उनके अर्थ
भगवान विष्णु के कई नाम हैं, जो उनके विभिन्न गुणों और लीलाओं को दर्शाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख नाम और उनके अर्थ दिए जा रहे हैं।
- केशव: इसका अर्थ है ‘लंबे, सुंदर केशों वाला’। यह नाम भगवान विष्णु की सुन्दरता और आकर्षण का प्रतीक है।
- माधव: इसका अर्थ है ‘मधु (शहद) के समान मधुर’। यह नाम भगवान की मधुरता और स्नेह का प्रतीक है।
- गोविंद: इसका अर्थ है ‘गायों के स्वामी’। यह नाम भगवान विष्णु की गोकुल में गोपालक के रूप में लीला को दर्शाता है।
- विष्णु: इसका अर्थ है ‘व्यापक’ या ‘सबमें व्याप्त’। यह नाम भगवान की सर्वव्यापकता और सर्वत्र उपस्थित होने का संकेत है।
- हरि: इसका अर्थ है ‘हरने वाला’। यह नाम भगवान विष्णु के भक्तों के दुखों और पापों को हरने की क्षमता को दर्शाता है।
- जनार्दन: इसका अर्थ है ‘लोगों के रक्षक’। यह नाम भगवान विष्णु की रक्षा करने वाली शक्ति का प्रतीक है।
- वामन: यह नाम भगवान विष्णु के वामन अवतार को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने त्रिविक्रम के रूप में तीन पग में तीनों लोकों को नाप लिया था।
- सुदर्शन: इसका अर्थ है ‘अच्छे दर्शन वाला’। यह नाम भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतीक है, जो बुराई का नाश करता है।
- नृसिंह: यह नाम भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
- वासुदेव: इसका अर्थ है ‘वासुदेव के पुत्र’। यह नाम भगवान कृष्ण के रूप में उनके जन्म को दर्शाता है, जिनका वास्तविक नाम वासुदेव था।
भगवान विष्णु हिन्दू धर्म में त्रिमूर्ति के एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिनका कार्य सृष्टि की रक्षा और पालन करना है। भगवान विष्णु को ‘नारायण’ कहा जाता है और इसके पीछे कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएँ हैं। भगवान विष्णु के ये नाम न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि उनमें छिपे आध्यात्मिक संदेश भी हैं, जो भक्तों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
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