Sunday, May 19, 2024

मृतासन: आलस्‍य, थकान को दूर कर लाता है स्‍फूर्त‍ि

मृतासन: जो जीव‍ित देह प्रत्‍येक प्रकार के कार्य करने में सक्षम रहती है वही न‍िर्जीव होते ही गीले कपड़े की तरह एकदम श‍िथ‍िल हो जाती है। गहरी नींद में सोए हुए अथवा मूर्छ‍ित व्‍यक्‍त‍ि का अपनी ही देह पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है। ऐसी ही न‍ियंत्रण-मुक्‍त देह स्‍थ‍ित‍ि की ‘शवासन’ या ‘प्रेतासन’ अ‍थवा ‘समर्पण आसन’ कहा जाता है।

जब देह से प्राण न‍िकले हुए काफी समय हो जाता है तो रक्‍त ठोस हो जाता है। अस्‍थ‍िबंधन एकदम कड़े हो जाते हैं। मांसपेश‍ियां कठोर हो जाती हैं। एक सूखी लकड़ी के ठूंठ की तरह पूरा शरीर स‍िर से लेकर पांव तक ठोस व कड़े पदार्थ में बद जाता है। इसे ही ‘मृत शरीर’ नाम द‍िया गया है। इसी अध्‍ययन के आधार पर ‘मृतासन’ का जन्‍म हुआ है।

मृतासन के लाभ

  • मृतासन और शवासन का बार-बार प्रयोग शरीर की माल‍िश सर्वोत्तम रूप से करता है।
  • आलस्‍य व थकान को दूर कर स्‍फूर्त‍ि लाने की सर्वोत्तम व‍िधि‍ है।
  • मांसपेश‍ियों की जकड़न, ऐंठन व श‍िथ‍िलता दूर कर उन्‍हें पुन: कार्यक्षम बनाता है।
  • अस्‍थ‍ियों के समस्‍त जोड़ों व अस्‍थ‍िबंधनों को सक्षम, न‍िरोग तथा लचीला बनाता है।
  • शवासन का पूरक आसन हाने से उसके सभी लाभ इससे भी प्राप्‍त होते हैं।
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मृतासन की आवश्‍यकता 

कुत्ते, ब‍िल्‍ली तथा अन्‍य चौपाये पशुओं की आदतों का सूक्ष्‍म न‍िरीक्षण कीज‍िए। आपने देखा होगा क‍ि वे अपने प‍िछले पैरों को पीछे की ओर लंबा कर, शरीर को त‍िरक्षा करके, अपना पूरा शरीर पूरी शक्‍त‍ि से तानकर कड़ा करते हैं। आप भी सोकर उठने के बाद कभी-कभी भरपूर अंगड़ाई लेते हैं। स‍िंंह तथा अन्‍य मांसभक्षी पशु अपने श‍िकार पर न‍िकलने से पहले ऐसी ही भरपूर अंगड़ाई लेते हैं। इन सभी की अंगड़ाईयों का यद‍ि हम अध्‍ययन करते हैं तो पाते हैं क‍ि ऐसा करने से पूरे शरीर में स्‍फूर्त‍ि, सजगता और जोड़ों में लोच आ जाती है, माल‍िश भी हो जाती है। मृतासन इस क्र‍िया का वैज्ञान‍िक रूप है।

मृतासन करने की व‍िध‍ि 

चौपरत कंबल, फर्श या समतल भूम‍ि पर पीठ के बल लेट जाइए। दोनो पैर आपस में एकदम सटे हुए हों। दोनो हाथ भी शरीर से पूरी तरह सटे रहने चाह‍िए। मुंह आकाश की ओर उठा तथा गरदन ब‍िलकुल सीधी रहे। पूरा शरीर एक सीध में तना हो। शवासन में शरीर को श‍िथ‍िल करने के लिए ब‍िलकुल ढीला छोड़ना पड़ता है, परंतु मृतासन उसका ठीक उलटा है। स‍िर, गर्दन, पेट, कमर, न‍ितंब, जांघें, घुटने तथा पैर के पंजे आद‍ि सारे अंग पूरी तरह से खींचकर एकदम कड़े करना ही मृतासन है। अंतश्‍चछुओं से शरीर के एक-एक अंग का न‍िरीक्षण करते हुए उन्‍हें आपस में सटाने के साथ ही पूरी तरह से नियंत्र‍ित व कड़ा करने के लिए प्रयास करना होता है।

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मृतासन का परीक्षण

मृतासन का आपका क‍ितना सफल प्रयास संभव हुआ है, इसका परीक्षण इस व‍िध‍ि से अवश्‍य करना चाहि‍ए। लकड़ी के सूखे ठूंठ की तरह आपका शरीर एक स‍िरे से दूसरे स‍िरे तक एक ठोस लंबी वस्‍तु की तरह कड़ा हो जाना चाह‍िए। अब कोई दो सहयोगी, एक आपके स‍िर के पास तथा दूसरा आपके पैर के पास खड़ा हो जाए। स‍िर के पास वाला व्‍यक्‍त‍ि आपको गर्दन के नीचे, हथेली के सहारे पर तथा दूसरा पैर के टखनों के नीचे, हथेली के सहारे आपके पूरे शरीर को ऊपर उठाए। शेष शरीर के नीचे कोई सहारा न हो, फ‍िर भी आपका शरीर ब‍िना अध‍िक झोल खाए ऊपर टंग जाए तो समझना चाह‍िए क‍ि आपका मृतासन अभ्‍यास सफल है।

शरीर को नीचे रखे जाने पर शवासन कीज‍िए। यद‍ि आप ब‍िस्‍तर छोड़ने के पूर्व प्रत‍िद‍िन अपने ब‍िस्‍तर पर ही मृतासन और शवासन का तीन-चार बार अभ्‍यास कर लें तो द‍िनभर की थकान से मुक्‍त रहकर भरपूर स्‍फूर्त‍ि का अनुभव कर सकेंगे। माल‍िश की आवश्‍यकता भी आपको नहीं रहेगी।

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