सर्वाइकल क्या है?
सर्वाइकल एक सामान्य लेकिन तकलीफदेह रीढ़ की समस्या है, जो गर्दन की हड्डियों यानी ‘सर्वाइकल स्पाइन’ में विकृति के कारण होती है। यह मुख्य रूप से गर्दन के जोड़ (vertebrae) और डिस्क में होने वाले घिसाव, सूजन या नसों पर दबाव के कारण होता है। यह समस्या अक्सर बढ़ती उम्र, गलत बैठने की आदतें, कंप्यूटर या मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग, और गर्दन पर अधिक तनाव की वजह से होती है। यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह दर्द कंधों और हाथों तक फैल सकता है, जिससे रोजमर्रा के कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
सर्वाइकल के प्रमुख लक्षण
सर्वाइकल के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और व्यक्ति को असहजता का अनुभव होने लगता है। इसमें गर्दन में अकड़न, दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना, हाथों या अंगुलियों में झनझनाहट या सुन्नपन शामिल हो सकते हैं। कुछ मामलों में यह दर्द पीठ के ऊपरी हिस्से, कंधों और बाजुओं तक फैल जाता है। गर्दन को घुमाने या झुकाने में कठिनाई होती है। लंबे समय तक लक्षणों को नजर अंदाज करने पर यह गंभीर रूप ले सकता है और नसों पर दबाव के कारण न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो सकती हैं।
सर्वाइकल के संभावित कारण
सर्वाइकल होने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें सबसे आम है गलत मुद्रा में बैठना या सोना। लगातार कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर झुककर काम करना, भारी वस्तु उठाना, या गर्दन को बार-बार झटका लगना इसके जोखिम को बढ़ाता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र में डिस्क के घिसने, गठिया या ऑस्टियोफाइट्स (हड्डी की वृद्धि) जैसे कारण भी सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का कारण बनते हैं। तनाव और शारीरिक निष्क्रियता भी गर्दन की मांसपेशियों को कमजोर बनाकर इस समस्या को बढ़ावा देते हैं।
सर्वाइकल का उपचार
सर्वाइकल का उपचार लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। प्रारंभिक अवस्था में फिजियोथैरेपी, गर्दन के व्यायाम, गर्म सिकाई, और दर्द निवारक दवाएं कारगर होती हैं। डॉक्टर की सलाह पर मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं भी दी जाती हैं। जीवनशैली में सुधार, जैसे कि सही मुद्रा में बैठना और तकिए का सही उपयोग, उपचार में सहायक होते हैं। गंभीर मामलों में नसों पर दबाव कम करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, हालांकि अधिकांश मामलों में यह आवश्यक नहीं होती।
बचाव और जीवनशैली में बदलाव
सर्वाइकल से बचाव के लिए सबसे जरूरी है सही बैठने और सोने की आदतें। लंबे समय तक एक ही स्थिति में काम करने से बचें और हर 30-40 मिनट में गर्दन को आराम दें। मोबाइल और लैपटॉप का अधिक प्रयोग करते समय गर्दन झुकाकर न देखें। नियमित गर्दन और कंधे की स्ट्रेचिंग करें। अच्छी नींद और तनाव नियंत्रण भी मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है। सही जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।