उत्थित आसन” योग का एक प्रमुख आसन है जो कि शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। इस आसन को संस्कृत में “उत्थित” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “उठा हुआ” या “स्थित”। इस आसन को समस्त योग साधकों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
आसन की विधि
दोनों पैरों के बीच लगभग दो-ढाई फीट का अंतर रखते हुए सीधे तनकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को सामने नीचे की ओर दोनों हथेलियों को आपस में गूंथकर झूलती हुई स्थिति में रखिए। बांए पैर के घुटने को बाई ओर (बाहर की ओर) तथा दाहिने घुटने को दाहनी ओर को फैलता हुआ झुकाइए। धीरे-धीरे शरीर का संतुलन बनाए रखते हुए जांघों तथा नितंबों को नीचे झुकाते हुए पृथ्वी की ओर लाइए।
पृथ्वी से लगभग 3-4 फीट दूरी पर ही रोक दीजिए। कमर से ऊपर का भाग सीधा और तना हुआ रखिए। उत्थित आसन की इस स्थिति में जितनी अधिक देर रूक सकें, रूके रहिए। यदि आपको थकान अथवा कठिनाई प्रतीत होने लगे तो पीछे गिर न पड़ें, बल्कि उसके कुछ क्षण पहले ही धीरे-धीरे खड़े होकर विश्राम कर लें। दो-तीन बार यह आसन पुन:-पुन: कर अभ्यास बढ़ाते जाएं।