देवशयनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे ‘पद्मा एकादशी’ और ‘हरीशयनी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं, जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इस अवधि के दौरान, वे योग निद्रा में रहते हैं और देवउठनी एकादशी पर जागते हैं।
पौराणिक मान्यताएं
देवशयनी एकादशी के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, त्रेतायुग में एक राजा मांधाता ने अपने राज्य में प्रजा की सुख-शांति और उन्नति के लिए इस व्रत को किया था। उनके राज्य में सूखा पड़ने से प्रजा त्रस्त हो गई थी। तब महर्षि अंगिरा के निर्देश पर उन्होंने देवशयनी एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की। इसके प्रभाव से उनके राज्य में फिर से बारिश होने लगी और प्रजा की समस्याएँ दूर हो गईं।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राक्षसों के अत्याचार से धरती को मुक्त करने के लिए इस दिन योग निद्रा में प्रवेश किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान वे ब्रह्मांड की सुरक्षा के लिए कार्यरत रहते हैं। इसलिए, इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए क्योंकि भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं।
व्रत विधि
- स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा और आराधना: भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को पीले फूल, चंदन और फल अर्पित करें।
- व्रत: इस दिन निर्जल व्रत रखना उत्तम माना जाता है, परंतु जल और फल का सेवन भी कर सकते हैं।
- सत्संग और कथा: व्रत के दिन सत्संग में शामिल हों और देवशयनी एकादशी की कथा सुनें।
- रात्रि जागरण: रात्रि को जागरण कर भगवान विष्णु के नाम का संकीर्तन करें।
व्रत के लाभ
- पुण्य की प्राप्ति: देवशयनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: इस व्रत से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। व्यक्ति का मन पवित्र होता है और आत्मा को शांति मिलती है।
- सुख-शांति और समृद्धि: इस व्रत से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: व्रत रखने से शरीर का विषाक्त पदार्थ निकलता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आत्मसंयम और अनुशासन: व्रत रखने से आत्मसंयम और अनुशासन का विकास होता है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
देवशयनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख भी व्यापक रूप से किया गया है, जो इसके महत्व को और भी बढ़ाता है। इसलिए, देवशयनी एकादशी का व्रत हर व्यक्ति को श्रद्धापूर्वक और विधिपूर्वक करना चाहिए।
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