Thursday, July 17, 2025

क्या स्त्रियाँ हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं? धार्मिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक विचार

हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक ऐसी काव्य रचना है, जो श्रद्धा, शक्ति और संकट से मुक्ति का प्रतीक मानी जाती है। यह प्रश्न कई बार उठता है कि क्या स्त्रियाँ हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं? इस विषय पर धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक विचारों दोनों का संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है।

सबसे पहले धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो शास्त्रों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं मिलता कि महिलाएं हनुमान चालीसा या हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकतीं। हनुमान जी भक्ति, सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं। वह अपने भक्तों के भाव से प्रसन्न होते हैं, न कि उनके लिंग से। हनुमान जी स्वयं भी माता सीता के परम भक्त और सेवक रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका संबंध श्रद्धा और मर्यादा से है, न कि किसी भेदभाव से।

कुछ परंपरागत मान्यताएँ, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं को हनुमान जी की पूजा या मंदिर में जाने से रोकती हैं, परंतु यह सामाजिक सोच है, धार्मिक आदेश नहीं। संतों और आचार्यों ने भी स्पष्ट किया है कि हनुमान चालीसा का पाठ सभी के लिए फलदायी है – चाहे वह स्त्री हो या पुरुष।

अब बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की – तो हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक संतुलन, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके मंत्रात्मक छंद मस्तिष्क को शांत करने और तनाव कम करने में सहायक होते हैं। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि धार्मिक ग्रंथों का उच्चारण मनोवैज्ञानिक रूप से लाभकारी होता है।

आज की महिला चाहे गृहिणी हो या कामकाजी, हनुमान चालीसा उनके लिए आत्मबल, साहस और आंतरिक ऊर्जा का स्रोत बन सकती है।

हनुमान चालीसा का पाठ स्त्रियाँ पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से कर सकती हैं। यह न केवल धार्मिक रूप से उचित है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

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