टॉयलेट में बैठने का सही तरीका क्या है?
टॉयलेट में सही बैठने का तरीका आपके पाचन और मल त्याग को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, घुटनों को पेट के पास मोड़ते हुए 35 डिग्री के कोण पर बैठना आदर्श माना जाता है। इस स्थिति में मलाशय (rectum) और गुदा नलिका (anus) के बीच सीधा रास्ता बनता है, जिससे मल त्याग में कठिनाई नहीं होती। यदि आप वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग कर रहे हैं, तो एक छोटा स्टूल (footstool) पैरों के नीचे रखकर इस स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है। सही बैठने से कब्ज, बवासीर और अन्य पेट संबंधी समस्याओं का खतरा कम होता है।
भारतीय टॉयलेट: शरीर के अनुकूल पारंपरिक तरीका
भारतीय टॉयलेट यानी स्क्वाटिंग पोजीशन को प्राकृतिक और शरीर के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है। इसमें घुटनों का मोड़ स्वाभाविक रूप से सही एंगल बनाता है, जिससे मल त्याग सुगम हो जाता है। यह तरीका कोलन (आंत) को पूरी तरह खाली करने में मदद करता है, जिससे पेट साफ रहता है और संक्रमण का खतरा कम होता है। इसके अलावा स्क्वाटिंग से जांघों, पेट और पीठ की मांसपेशियों की हल्की कसरत भी होती है। आयुर्वेद और आधुनिक रिसर्च दोनों ही भारतीय टॉयलेट को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते हैं।
कब्ज और बवासीर में भारतीय टॉयलेट ज्यादा फायदेमंद
जो लोग नियमित रूप से कब्ज या बवासीर जैसी समस्याओं से जूझते हैं, उनके लिए भारतीय टॉयलेट का उपयोग विशेष लाभकारी है। बैठने का यह तरीका मलत्याग को आसान बनाता है और अधिक बल लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अधिक बल लगाने से बवासीर की समस्या बढ़ सकती है और गुदा क्षेत्र में चोट भी लग सकती है। भारतीय टॉयलेट का सही इस्तेमाल मल त्याग की प्रक्रिया को सहज बनाता है और आंतरिक अंगों पर अनावश्यक दबाव कम करता है। डॉक्टर भी पाचन संबंधी विकारों में स्क्वाटिंग को बढ़ावा देने की सलाह देते हैं।
हार्मोनल संतुलन और शरीर की सफाई में मददगार
स्क्वाटिंग पोजीशन न केवल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती है बल्कि शरीर में हार्मोनल संतुलन को भी बेहतर बनाती है। जब मल त्याग आसान होता है, तो शरीर से विषाक्त पदार्थ (toxins) समय पर बाहर निकलते हैं, जिससे त्वचा, लीवर और हार्मोन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, भारतीय टॉयलेट का उपयोग करने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और वजन प्रबंधन में भी सहायता मिलती है। इस प्रकार सही शौच प्रक्रिया समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देती है।
भारतीय टॉयलेट: भविष्य की स्मार्ट चॉइस
आज भले ही वेस्टर्न टॉयलेट स्टाइल का चलन बढ़ गया हो, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ भारतीय टॉयलेट को एक ‘स्मार्ट चॉइस’ मानते हैं। यह न केवल स्वस्थ मल त्याग प्रक्रिया को बढ़ावा देता है बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव में भी सहायक है। जो लोग वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग कर रहे हैं, वे भी छोटे स्टूल या स्क्वैटिंग प्लेटफॉर्म की मदद से भारतीय पद्धति के लाभ पा सकते हैं। भविष्य में स्वास्थ्य केंद्रित जीवनशैली को अपनाने के लिए भारतीय टॉयलेट शैली को फिर से प्राथमिकता देना एक समझदारी भरा कदम होगा।