Vastu remedies for kitchen harmony: रसोई घर को घर की ऊर्जा का केंद्र माना गया है। यहां बना खाना पूरे परिवार की सेहत, मनोदशा और आपसी रिश्तों पर असर डालता है। अगर रसोई में टूटी, जली या विकृत कड़ाही का प्रयोग होता है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। यह दोष घर के मुख्य वास्तु तत्वों-अग्नि और जल-के असंतुलन को दर्शाता है, जिससे तनाव और रोगों की संभावना बढ़ती है। ऐसे बर्तन ऊर्जा का प्रवाह रोकते हैं और ग्रहों की अशुभता को आमंत्रित करते हैं। वास्तु और आयुर्वेद दोनों के अनुसार, टूटी कड़ाही मानसिक बेचैनी, क्रोध और उदासी को जन्म देती है।
रिश्तों में दरार की वजह बनती है टूटी कड़ाही
टूटी या जली हुई कड़ाही केवल रसोई की गड़बड़ी नहीं है, यह रिश्तों में भी टकराव और गलतफहमियों की वजह बन सकती है। विशेष रूप से पति-पत्नी के संबंधों में यह विश्वास की कमी, संवादहीनता और क्रोध को बढ़ावा देती है। जब ऐसी नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है, तो आपसी तालमेल कमजोर हो जाता है। छोटी-छोटी बातें भी विवाद का कारण बन सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में कोई टूटा या खराब बर्तन नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है, और यह धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी का कारण बन सकता है। अतः ऐसे बर्तनों को रसोई से हटा देना चाहिए।
सेहत पर असर डालते हैं टूटे और जले बर्तन
जले हुए बर्तन में भोजन पकाने से वह भोजन विषैला और ऊर्जा रहित हो सकता है। यह न केवल शरीर को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि पाचन तंत्र, लिवर और त्वचा संबंधी बीमारियों का कारण भी बन सकता है। टूटी कड़ाही में भोजन पकाने से उसमें धातु के कण आ सकते हैं जो धीरे-धीरे शरीर में जहर की तरह जमा होते हैं। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि भोजन शुद्ध और साफ बर्तनों में बनना चाहिए, तभी वह शरीर को पोषण दे सकता है। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए ऐसे बर्तनों को समय पर बदलना जरूरी है।
अग्नि तत्व का अपमान करती है जली हुई कड़ाही
रसोई घर में अग्नि तत्व का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यहीं भोजन पकाया जाता है। जली हुई कड़ाही अग्नि तत्व के दोषपूर्ण उपयोग का संकेत देती है। इससे घर के अन्य तत्वों-जल, वायु, पृथ्वी और आकाश-का संतुलन बिगड़ सकता है। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि अग्नि तत्व का अपमान करने से घर में क्रोध, अशांति और मानसिक अशुद्धता फैलती है। इससे सदस्यों के बीच टकराव और लड़ाई की संभावना बढ़ जाती है। अग्नि शुद्धता और उन्नति का प्रतीक है, और उसका अपमान घर की ऊर्जा को नकारात्मक दिशा में मोड़ देता है।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए बर्तनों की स्वच्छता जरूरी
स्वच्छ और सही स्थिति में रखे गए बर्तन घर में पॉजिटिव वाइब्स बनाए रखते हैं। वहीं, पुराने, टूटे या जले हुए बर्तन ऊर्जा को जकड़ लेते हैं और घर की उन्नति में बाधा उत्पन्न करते हैं। रसोई में स्वच्छता और सजावट का सीधा संबंध घर की समृद्धि से होता है। यदि आपकी कड़ाही या तवा बहुत पुराना या जल चुका है, तो उसे बदलना ही बेहतर होता है। हर वस्तु की एक ऊर्जा होती है, और जब वह नकारात्मक हो जाती है, तो उसका असर पूरे घर पर पड़ता है। नए और स्वच्छ बर्तन शुभता का प्रतीक माने जाते हैं।
आर्थिक तंगी और रुकावटों की वजह
आश्चर्य की बात है कि टूटी या खराब कड़ाही भी आपकी आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। वास्तु और फेंगशुई के अनुसार, पुराने और टूटी हुई चीजें न केवल ऊर्जा अवरोध बनाती हैं, बल्कि आर्थिक बाधाएं भी खड़ी करती हैं। घर में आय का स्रोत धीमा पड़ सकता है, खर्चे बढ़ सकते हैं और धन टिकना मुश्किल हो सकता है। जब तक ये बर्तन रसोई में रहते हैं, तब तक घर में समृद्धि का प्रवाह रुक जाता है। अतः समय रहते ऐसे बर्तनों को हटाकर नए व स्वच्छ विकल्प अपनाना चाहिए।
समाधान: क्या करें और क्या न करें?
- रसोई की नियमित सफाई करें और टूटी, जली कड़ाही तुरंत हटा दें।
- सप्ताह में एक बार रसोई की वस्तुओं की जांच करें।
- बर्तनों में दरार या बदबू हो, तो उनका उपयोग बंद करें।
- वास्तु अनुसार स्टील, तांबे या मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग शुभ माना जाता है।
- बर्तनों को धूप में सुखाकर उनकी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त की जा सकती है।
- फेंके जाने वाले बर्तनों को दान करने से बचें, नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है।
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