Natural immunity boosters during pandemic: कोविड के समय जब लोग एलोपैथी की दवाओं के साइड इफेक्ट्स से परेशान हो रहे थे, तब होम्योपैथी एक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरा। होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक स्रोतों से तैयार की जाती हैं और इनका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता, जिससे लोगों में इसका भरोसा बढ़ा।
प्रिवेंटिव अप्रोच और इम्यून बूस्टिंग
कोविड के दौरान होम्योपैथिक डॉक्टरों ने कई ऐसी दवाएं सुझाईं जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपयोगी थीं, जैसे Arsenicum Album 30, जिसे आयुष मंत्रालय ने भी रोग प्रतिरोधक उपायों में शामिल किया था। इसने आम जनता में होम्योपैथी की उपयोगिता के प्रति रुचि बढ़ाई।
मानसिक स्वास्थ्य में सहायता
कोविड ने न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी प्रभावित किया। चिंता, अनिद्रा, अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग होम्योपैथी के माध्यम से राहत महसूस करने लगे क्योंकि यह चिकित्सा प्रणाली शारीरिक के साथ मानसिक लक्षणों पर भी काम करती है।
घर पर उपचार की सुविधा
महामारी के दौरान अस्पतालों में जगह की कमी और संक्रमण का खतरा देखते हुए लोग ऐसे विकल्प खोज रहे थे जिन्हें घर पर लिया जा सके। होम्योपैथी की गोली या तरल दवाएं घर पर आसानी से ली जा सकती हैं, जिससे यह लोगों के लिए सुविधाजनक बनी।
लंबी अवधि में रोगों से निवारण
होम्योपैथी लक्षणों को दबाने की बजाय शरीर की संपूर्ण संरचना को संतुलित करने का प्रयास करती है। कोविड के बाद की थकान, कमजोरी और मानसिक अस्थिरता जैसे Post-COVID Syndrome में भी इसने कारगर परिणाम दिए, जिससे विश्वास और अधिक बढ़ा।
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