Seven day week history: सप्ताह के सात दिनों का विचार बहुत पुराना है, जिसकी जड़ें खगोलशास्त्र और प्राचीन सभ्यताओं में मिलती हैं। सबसे पहले बेबीलोनिया (मेसोपोटामिया) के लोगों ने सात ग्रहों-सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि-के आधार पर सप्ताह का निर्माण किया। उन्होंने आसमान में दिखने वाले इन प्रमुख खगोलीय पिंडों को दिन-प्रतिदिन क्रम से बांट दिया, जिससे एक सात दिवसीय चक्र बना। यह व्यवस्था धीरे-धीरे दुनिया की अन्य सभ्यताओं तक भी पहुँची और लोकप्रिय हो गई।
भारत में सात दिन क्यों?
भारत में भी प्राचीन समय से ही सात दिनों (Seven day) का सप्ताह प्रचलित है। इसका संबंध वैदिक ज्योतिष और नवग्रहों से है। भारतीय संस्कृति में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र और शनि-इन सात ग्रहों को बहुत महत्व दिया गया। प्रत्येक दिन को एक-एक ग्रह के अधीन माना गया, जिससे उनका नामकरण हुआ। यह परंपरा हजारों साल से चली आ रही है और आज भी हमारे पंचांग और कैलेंडर का हिस्सा है।
रविवार का महत्व और नामकरण
रविवार सप्ताह का पहला दिन माना जाता है, जो सूर्य देव को समर्पित है। संस्कृत में इसे ‘रविवार’ कहा गया, क्योंकि ‘रवि’ का अर्थ सूर्य होता है। सूर्य ऊर्जा, प्रकाश और जीवन के प्रतीक हैं, इसलिए उन्हें सप्ताह के पहले दिन का स्वामी बनाया गया। दुनियाभर में भी इसे संडे (Sun Day) कहते हैं, जिसका अर्थ है सूर्य का दिन। यह परंपरा प्राचीन रोमन संस्कृति से भी मेल खाती है।
सोमवार और चंद्रमा का संबंध
सोमवार का नाम चंद्रमा के नाम पर पड़ा। संस्कृत में ‘सोम’ का अर्थ चंद्रमा है। चंद्रमा मन की शांति, भावनाओं और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सोमवार को मानसिक शांति, ध्यान और आराधना के लिए विशेष दिन माना जाता है। अंग्रेजी में भी इसे Monday कहा जाता है, जो ‘Moon Day’ से बना है। यह नामकरण दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों में एक जैसा पाया जाता है।
मंगल से बुधवार तक के दिन कैसे बने?
मंगलवार का नाम ‘मंगल’ ग्रह पर पड़ा, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। बुधवार का नाम ‘बुध’ ग्रह पर रखा गया, जो बुद्धि और वाणी के देवता माने जाते हैं। गुरुवार ‘गुरु’ या ‘बृहस्पति’ ग्रह के नाम पर है, जो ज्ञान और धर्म के प्रतीक हैं। ये नाम सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि खगोलीय आधार पर भी रखे गए हैं, ताकि हर दिन एक खास ग्रह की ऊर्जा से जुड़ा रहे।
शुक्रवार और शनिवार का रहस्य
शुक्रवार का नाम ‘शुक्र’ ग्रह पर रखा गया, जो प्रेम, कला और ऐश्वर्य का प्रतीक है। शनिवार का नाम ‘शनि’ ग्रह से जुड़ा है, जो कर्म, अनुशासन और न्याय के देवता माने जाते हैं। अंग्रेजी में भी इसे Friday (Frigg’s Day या Venus Day) और Saturday (Saturn Day) कहा जाता है। यह नामकरण प्राचीन रोमन और नॉर्स परंपराओं से भी जुड़ा है।
क्या सभी देशों में सात दिन होते हैं?
दुनिया के ज्यादातर देशों में आज सात दिनों (Seven day) का सप्ताह ही चलता है, लेकिन इतिहास में कुछ जगहों पर पांच या दस दिनों के सप्ताह भी थे। सात दिन का सप्ताह सबसे लंबे समय तक टिका, क्योंकि यह चंद्रमा के चरणों और ग्रहों से जुड़ा हुआ था। इसलिए यह धार्मिक, खगोलीय और सांस्कृतिक आधार पर भी सबसे स्थायी साबित हुआ।
अलग-अलग धर्मों में सप्ताह का महत्व
सप्ताह के सात दिन (Seven day) सिर्फ भारत या बेबीलोन तक सीमित नहीं रहे, बल्कि अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में भी इनका विशेष महत्व है। उदाहरण के लिए, यहूदी धर्म में शनिवार (Sabbath) को विश्राम और पूजा का दिन माना जाता है। ईसाई धर्म में रविवार को प्रभु का दिन कहा जाता है, जब चर्च में प्रार्थना की जाती है। इस्लाम धर्म में शुक्रवार (जुमा) को विशेष पवित्र दिन माना गया है। इन परंपराओं से पता चलता है कि सात दिनों का चक्र सिर्फ खगोलीय कारणों से ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और सामाजिक जीवन का भी हिस्सा बन गया है।
सप्ताह के दिन और आधुनिक जीवन
आज के तेज रफ्तार जीवन में भी सप्ताह के सात दिन (Seven day) हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा हैं। रविवार को अक्सर छुट्टी या परिवार के साथ समय बिताने का दिन माना जाता है, जबकि सोमवार से शुक्रवार तक कामकाजी जीवन चलता है। शनिवार को लोग आराम, मनोरंजन या खरीदारी के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह व्यवस्था सिर्फ कैलेंडर पर तारीख लिखने के लिए नहीं, बल्कि हमारी सोच, आराम और काम के संतुलन को व्यवस्थित करने के लिए भी बनी है। इसी वजह से यह प्राचीन परंपरा आज भी उतनी ही जरूरी और जीवंत है।
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