Cow luck rituals: गाय को गुड़ और भुने चने का दाना खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे घर में खुशहाली आती है और पारिवारिक कलह दूर होते हैं। खासकर हर बुधवार या शनिवार को गाय को गुड़-चने का भोग लगाने से कुंडली के शनि और राहु जैसे ग्रहों का असर भी कम होता है। साथ ही, इससे गाय की सेहत भी बेहतर होती है और उसके दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
हरी घास और तुलसी के पत्ते: सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक
गाय को ताजा हरी घास और तुलसी के कुछ पत्ते खिलाने से घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है और गाय (Cow) का स्पर्श उसे और भी पुण्यदायक बना देता है। यह परंपरा बताती है कि जीवों में दया और सेवा का भाव घर-परिवार में सौभाग्य को आमंत्रित करता है।
रोटी पर हल्दी और घी लगाकर
शास्त्रों के अनुसार, रोज सुबह गाय (Cow) को रोटी पर हल्दी और घी लगाकर खिलाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इससे विशेष रूप से घर की महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। यह परंपरा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि गाय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है क्योंकि घी और हल्दी दोनों ही इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
सात अनाज से बनी लोई: ग्रह दोष निवारण
कई परिवार अमावस्या या पूर्णिमा पर गाय (Cow) को सात तरह के अनाज से बनी लोई खिलाते हैं। मान्यता है कि यह ग्रह दोषों को शांत करने में सहायक होती है और घर में अचानक आने वाली परेशानियां दूर करती है। सात अनाज में गेहूं, चना, जौ, मक्का, मूंग, उड़द और तिल शामिल होते हैं।
गुड़-चावल का मिश्रण: भाग्यवृद्धि का सरल उपाय
गाय को गुड़ और चावल का मिश्रण खिलाना विशेष रूप से गुरुवार को शुभ माना जाता है। इससे बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, जिससे घर में विद्या, संतान सुख और धन लाभ होता है। यह उपाय पीली वस्तुओं से जुड़ा होता है, जो जीवन में सौभाग्य बढ़ाने का प्रतीक माना जाता है।
रविवार को गेहूं और गुड़
रविवार के दिन गाय (Cow) को गेहूं और गुड़ देना घर में शांति और स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। सूर्य ग्रह की कृपा पाने के लिए यह परंपरा पुरानी शास्त्रों में भी वर्णित है। सूर्य से जुड़ी बीमारियों जैसे कमजोरी और थकान को भी इससे लाभ होता है।
अमावस्या और पूर्णिमा पर खास भोग
अमावस्या या पूर्णिमा पर गाय (Cow) को खीर, हलवा या गुड़ से बनी मिठाई खिलाना भी सौभाग्यवर्धक माना जाता है। यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है बल्कि परिवार में आपसी प्रेम, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि को भी बढ़ाती है। मान्यता है कि इससे पितृ दोष भी शांत होता है।
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