DJ Ban: जिले में शादियों का सीजन चरम पर है, लेकिन विवाह मंडपों में नियम-कानूनों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। आबादी के निकट बने मंडपों में देर रात तक बजने वाले कानफोड़ू डीजे (DJ) से आमजन की नींद हराम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि रिहायशी क्षेत्रों में रात 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार का ध्वनि विस्तारक यंत्र जैसे डीजे या लाउडस्पीकर का उपयोग प्रतिबंधित है, लेकिन इन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है।
तेज आवाज में बजने वाले डीजे (DJ) से बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उच्च रक्तचाप, चिड़चिड़ापन, सुनने की क्षमता में कमी और दिल के दौरे जैसे खतरे बढ़ रहे हैं। त्योहारों और शादी समारोहों में पिकअप व ट्रॉलियों पर दर्जनों साउंड बॉक्स लगाए जा रहे हैं, जिनसे निकलने वाली तीव्र ध्वनि पशु-पक्षियों को भी प्रभावित कर रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि डीजे (DJ) संचालकों के पास इतनी तीव्र आवाज में संगीत बजाने की कोई अनुमति नहीं है। इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता के कारण डीजे संचालकों में कोई भय नहीं है। कई इलाकों में रात 2 बजे तक मोबाइल डीजे बजाए जा रहे हैं, जो नींद के साथ-साथ दिल और दिमाग को भी पीड़ा पहुंचा रहे हैं।
शिकायत करने पर पुलिस थाने में लिखित तहरीर की मांग करती है, जिसके बाद ही कार्रवाई का आश्वासन दिया जाता है। डीजे (DJ) वाहनों में क्षमता से अधिक एम्पीफायर और बेस लगाए जाते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण की सीमा डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है।
स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर तत्काल संज्ञान ले और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे ताकि आमजन को राहत मिल सके।

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