ETF का पूरा नाम “एक्सचेंज ट्रेडेड फंड” है। यह एक प्रकार का निवेश फंड होता है जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है, जैसे कि स्टॉक्स। ETF में कई अलग-अलग संपत्तियाँ हो सकती हैं, जैसे कि स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटीज, या एक मिक्स्ड पोर्टफोलियो। यह एक म्यूचुअल फंड की तरह होता है, लेकिन इसे स्टॉक की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है।
ETF से लोग कैसे कमा रहे हैं पैसा?
- लॉन्ग-टर्म निवेश: अगर आप लॉन्ग-टर्म के लिए निवेश करते हैं, तो ETF एक अच्छा विकल्प हो सकता है। समय के साथ, ETF के अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत बढ़ने पर आपके निवेश का मूल्य भी बढ़ता है।
- डिविडेंड्स: कई ETF नियमित रूप से डिविडेंड्स का भुगतान करते हैं। अगर ETF के पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियाँ डिविडेंड्स देती हैं, तो निवेशकों को भी इसका लाभ मिलता है।
- ट्रेडिंग: ETF को स्टॉक की तरह एक्सचेंज पर ट्रेड किया जा सकता है। अगर आप मार्केट के मूवमेंट को समझकर सही समय पर खरीदते और बेचते हैं, तो आप शॉर्ट-टर्म में भी मुनाफा कमा सकते हैं।
- डायवर्सिफिकेशन: ETF में निवेश करके आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है और स्थिर रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है।
क्या ETF निवेश का अच्छा विकल्प है?
फायदे
- लिक्विडिटी: ETF को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, क्योंकि यह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है। इससे निवेशक अपने निवेश को जल्दी कैश में बदल सकते हैं।
- कम लागत: ETF पर मैनेजमेंट फीस और अन्य खर्चे कम होते हैं, क्योंकि यह पासिवली मैनेज होते हैं। म्यूचुअल फंड्स की तुलना में ETF की एक्सपेंस रेशियो कम होती है।
- डायवर्सिफिकेशन: एक ETF में कई अलग-अलग एसेट्स शामिल होते हैं, जिससे आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई हो जाता है और जोखिम कम हो जाता है।
- पारदर्शिता: ETF की होल्डिंग्स नियमित रूप से प्रकाशित की जाती हैं, जिससे निवेशकों को यह पता रहता है कि उनका पैसा किन एसेट्स में लगा हुआ है।
नुकसान
- मार्केट रिस्क: ETF भी मार्केट रिस्क के अधीन होते हैं। अगर बाजार में गिरावट आती है, तो ETF की कीमत भी घट सकती है।
- ट्रेडिंग फीस: हर बार जब आप ETF खरीदते या बेचते हैं, तो आपको ट्रेडिंग फीस चुकानी पड़ती है, जो बार-बार ट्रेडिंग करने पर आपके रिटर्न को कम कर सकती है।
- ट्रैकिंग एरर: कभी-कभी ETF अपने अंडरलाइंग इंडेक्स को पूरी तरह से ट्रैक नहीं कर पाता, जिससे ट्रैकिंग एरर हो सकता है और निवेशकों को अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल पाता।
ETF चुनते समय किन बातों का ध्यान रखें?
- उद्देश्य: सबसे पहले अपने निवेश उद्देश्य को समझें। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो अलग-अलग प्रकार के ETF में निवेश करें, जैसे कि इक्विटी, बॉन्ड, या सेक्टर-स्पेसिफिक ETF।
- लागत: ETF की एक्सपेंस रेशियो और अन्य खर्चों पर ध्यान दें। कम लागत वाले ETF को प्राथमिकता दें, ताकि आपकी रिटर्न पर खर्चे का कम प्रभाव पड़े।
- परफॉर्मेंस: ETF के पिछले प्रदर्शन को जांचें, लेकिन यह भी समझें कि पिछले प्रदर्शन भविष्य की गारंटी नहीं है। फिर भी, इससे आपको ETF की स्थिरता और संभावित रिटर्न का अंदाजा हो सकता है।
- लिक्विडिटी: सुनिश्चित करें कि आप जिस ETF में निवेश कर रहे हैं, वह पर्याप्त लिक्विडिटी प्रदान करता है। इससे आपको जरूरत पड़ने पर अपने निवेश को आसानी से कैश में बदलने में मदद मिलेगी।
- डायवर्सिफिकेशन: ऐसा ETF चुनें जो आपके पोर्टफोलियो को अच्छी तरह से डायवर्सिफाई करता हो। इससे आपके कुल जोखिम में कमी आएगी और आपके निवेश को स्थिरता मिलेगी।
ETF एक प्रभावी और सुविधाजनक निवेश विकल्प हो सकता है, विशेषकर उन निवेशकों के लिए जो कम लागत में डायवर्सिफिकेशन और लिक्विडिटी चाहते हैं। हालांकि, इसमें भी जोखिम जुड़े होते हैं, इसलिए निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति, निवेश उद्देश्य और जोखिम सहनशीलता का मूल्यांकन करें। यदि सही रणनीति और समझ के साथ निवेश किया जाए, तो ETF से अच्छे रिटर्न प्राप्त किए जा सकते हैं।
Theconnect24 के व्हॉट्सएप चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
डिस्कलेमर: धर्म संग्रह, ज्योतिष, स्वास्थ्य, योग, इतिहास, पुराण सहित अन्य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशित व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभिन्न प्रकार के स्त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्योतिष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इस सामग्री को Viewers की दिलचस्पी को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है, जिसका कोई भी scientific evidence नहीं है।