Friday, June 6, 2025

Ganga Dussehra Annadaan Benefits: गंगा दशहरे पर अन्नदान का क्यों है विशेष महत्व

Ganga Dussehra Annadaan Benefits: भारतीय संस्कृति में अन्नदान को सर्वोत्तम दान कहा गया है। विशेषकर गंगा दशहरा जैसे पुण्य पर्व पर अन्न का दान दस प्रकार के पापों का नाश करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि गंगा दशहरे पर सात प्रमुख धान्य और तिल का दान क्यों किया जाता है और इससे किन-किन जीवन समस्याओं का समाधान होता है।

अन्नदान: श्रेष्ठतम दान

“अन्नं ब्रह्म”-वेदों में अन्न को ब्रह्म समान माना गया है। भूखे को भोजन देना केवल शारीरिक तृप्ति नहीं, आत्मिक संतोष का माध्यम है। गंगा दशहरे पर अन्नदान करने से जातक के जन्म-जन्मांतर के पाप कटते हैं। यह दान निर्धनों, भूखे बच्चों और वृद्धजनों को करना विशेष पुण्यदायक माना गया है। अन्नदान से व्यक्ति के जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

सात धान्य का दान-क्यों है विशिष्ट

गंगा दशहरे पर चावल, गेहूं, मूंग, उड़द, मसूर, जौ और बाजरा का दान करने की परंपरा है। ये सात धान्य शरीर को पोषण और ऊर्जा देने वाले माने जाते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इनका दान करने से सात लोकों का पुण्य प्राप्त होता है। ये धान्य संपूर्ण समाज के आहार संतुलन को भी बनाते हैं, इसलिए इनका दान समाज कल्याण का माध्यम भी बनता है।

तिल का दान: पितृदोष निवारण में सहायक

तिल को पवित्रता और शुद्धि का प्रतीक माना गया है। इसका उपयोग श्राद्ध, पिंडदान और पूजा में होता है। गंगा दशहरे पर काले तिल का दान पितृदोष से मुक्ति देता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके साथ ही यह दान नकारात्मक शक्तियों को दूर करने वाला भी माना जाता है। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

दान से मिलते हैं चार जीवन लाभ

गंगा दशहरे पर किया गया अन्नदान व्यक्ति को धन, अन्न, आरोग्य और संतोष प्रदान करता है। यह चारों लाभ जीवन के स्थायित्व और सुख के स्तंभ माने जाते हैं। नियमित अन्नदान करने वाले व्यक्ति को कभी भुखमरी, दरिद्रता या बीमारी नहीं सताती। यह पारिवारिक सुख और संतुलन को भी मजबूत करता है।

पापों से मुक्ति का साधन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरे पर अन्नदान करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, ईर्ष्या, आलस्य, हिंसा, छल जैसे दस पापों का शमन होता है। यह आंतरिक शुद्धिकरण का मार्ग है। दान करते समय शुद्ध भाव और कृतज्ञता आवश्यक होती है, तभी दान फलदायक होता है।

किन्हें करना चाहिए अन्नदान

गंगा दशहरे पर अन्नदान विशेष रूप से गरीबों, भूखे बच्चों, ब्राह्मणों, साधुओं, विधवाओं और रोगियों को किया जाना चाहिए। यह दान केवल वस्त्र या धन नहीं, बल्कि प्रेम और करुणा का भी संचार करता है। धार्मिक दृष्टि से यह कर्मों की शुद्धि और भविष्य में शुभ फलों की प्राप्ति का माध्यम है।

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Amit Mishra
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अमित मिश्रा को मीडिया के विभ‍िन्‍न संस्‍थानों में 15 वर्ष से ज्‍यादा का अनुभव है। इन्‍हें Digital के साथ-साथ Print Media का भी बेहतरीन अनुभव है। फोटो पत्रकारिता, डेस्‍क, रिपोर्ट‍िंंग के क्षेत्र में कई वर्षों तक अमित मिश्रा ने अपना योगदान दिया है। इन्‍हें तस्‍वीरें खींचना और उनपर लेख लिखना बेहद पसंद है। इसके अलावा इन्‍हें धर्म, फैशन, राजनीति सहित अन्‍य विषयों में रूच‍ि है। अब वह TheConnect24.com में बतौर डिज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं।
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