Sunday, July 13, 2025

Mobile radiation fertility: क्या मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल घटा रहा है प्रजनन क्षमता? जानें एक्सपर्ट की राय

Mobile radiation fertility: आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में मोबाइल फोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन लगातार और घंटों तक मोबाइल का इस्तेमाल सेहत के लिए कई तरह से नुकसानदेह हो सकता है। रिसर्च बताती हैं कि मोबाइल से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स (RF-EMW) हमारे शरीर की कोशिकाओं पर असर डाल सकती हैं। इससे सिर दर्द, नींद की कमी, आंखों में थकान और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं तो होती ही हैं, साथ ही इसका संबंध प्रजनन क्षमता (Fertility) पर भी देखा गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मोबाइल फोन का सीधा संपर्क शरीर के नाजुक हिस्सों से होने पर नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। खासकर जेब में मोबाइल रखना या सोते वक्त बगल में मोबाइल रखना प्रजनन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

क्या सच में कम होती है फर्टिलिटी? (Mobile radiation fertility)

कई अंतरराष्ट्रीय शोध बताते हैं कि मोबाइल से निकलने वाली तरंगें शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और गुणवत्ता पर असर डाल सकती हैं। जो पुरुष लंबे समय तक मोबाइल फोन को पैंट की जेब में रखते हैं, उनमें शुक्राणुओं की गिनती और एक्टिविटी कम देखी गई है। इसी तरह महिलाओं में भी हार्मोनल असंतुलन और अंडाणुओं की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। हालांकि हर व्यक्ति पर असर समान नहीं होता, लेकिन रिस्क बढ़ता जरूर है। एक्सपर्ट कहते हैं कि समस्या का मुख्य कारण है बार-बार और लंबे समय तक मोबाइल का बहुत पास रखना और नींद से ठीक पहले भी इस्तेमाल करना, जिससे हार्मोनल गड़बड़ी भी हो सकती है।

प्रजनन क्षमता पर कैसे पड़ता है असर?

मोबाइल की रेडिएशन शरीर के टिश्यू को गर्म कर सकती है, जिससे पुरुषों के टेस्टिकल्स का तापमान बढ़ सकता है। इससे शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है। इसके अलावा रेडिएशन DNA को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता घटती है। महिलाओं में मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ सकता है, जिससे पीरियड्स अनियमित होना या ओव्यूलेशन में दिक्कत आ सकती है। कुछ मामलों में नींद की कमी और मानसिक तनाव भी प्रजनन क्षमता (Fertility) घटाते हैं। इसलिए मोबाइल का सीधा संपर्क कम करना और इस्तेमाल के तरीकों को बदलना जरूरी है।

सबसे ज्यादा खतरे में कौन?

सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है जो दिनभर मोबाइल को शरीर के बहुत पास रखते हैं, जैसे पैंट की जेब में, शर्ट की जेब में या तकिए के नीचे। युवा पुरुष, जो लंबे समय तक कॉल पर रहते हैं या गेमिंग व सोशल मीडिया के लिए घंटों मोबाइल यूज करते हैं, उन्हें भी जोखिम ज्यादा होता है। गर्भधारण की योजना बना रहे दंपति और पहले से फर्टिलिटी (Fertility) की समस्या झेल रहे लोग भी संवेदनशील समूह में आते हैं। बच्चों और किशोरों के लिए भी यह खतरा अधिक है, क्योंकि उनका शरीर और हार्मोनल सिस्टम अभी विकसित हो रहा होता है।

एक्सपर्ट की राय क्या कहती है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ आदतों में बदलाव से नुकसान को कम किया जा सकता है। जैसे मोबाइल को जेब में रखने की बजाय बैग में रखें, कॉल करते समय ईयरफोन या स्पीकर मोड का इस्तेमाल करें, रात में मोबाइल को सिरहाने रखने से बचें, और चार्ज करते समय मोबाइल का इस्तेमाल न करें। एक्सपर्ट बताते हैं कि रेडिएशन से पूरी तरह बचाव संभव नहीं, लेकिन एक्सपोजर को कम करना ही सबसे प्रभावी उपाय है। साथ ही, हेल्दी लाइफस्टाइल और संतुलित डाइट भी प्रजनन क्षमता (Fertility) को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं।

समाधान क्या हैं?

मोबाइल के इस्तेमाल का समय सीमित करें, खासकर सोने से पहले। कॉल पर लंबी बात न करें, ईयरफोन या ब्लूटूथ का उपयोग करें। मोबाइल को पैंट की जेब में रखने से बचें, बैग या टेबल पर रखें। बच्चों को बिना जरूरत मोबाइल न दें और स्क्रीन टाइम नियंत्रित करें। कुछ लोग एंटी-रेडिएशन कवर का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सबसे बेहतर तरीका है दूरी बनाए रखना। साथ ही, पर्याप्त नींद लें, तनाव कम करें, एक्सरसाइज करें और हेल्दी आहार लें – ये सब प्रजनन क्षमता (Fertility) को सुरक्षित रखने में भी मदद करते हैं।

क्या पूरी तरह मोबाइल छोड़ना ही उपाय है?

मोबाइल आज के दौर में जरूरत बन चुका है, इसलिए पूरी तरह छोड़ना प्रैक्टिकल नहीं है। लेकिन जागरूकता और सही आदतें नुकसान को काफी हद तक कम कर सकती हैं। जैसे मोबाइल का सीमित और जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल, कॉल पर ज्यादा देर न रहना, रेडिएशन कम करने वाले फीचर्स का इस्तेमाल और बैग में मोबाइल रखना। हेल्दी लाइफस्टाइल और समय पर हेल्थ चेकअप भी जरूरी है। एक्सपर्ट कहते हैं कि मोबाइल से दूरी केवल फर्टिलिटी (Fertility) ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और नींद के लिए भी फायदेमंद है।

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Amit Mishra
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अमित मिश्रा को मीडिया के विभ‍िन्‍न संस्‍थानों में 15 वर्ष से ज्‍यादा का अनुभव है। इन्‍हें Digital के साथ-साथ Print Media का भी बेहतरीन अनुभव है। फोटो पत्रकारिता, डेस्‍क, रिपोर्ट‍िंंग के क्षेत्र में कई वर्षों तक अमित मिश्रा ने अपना योगदान दिया है। इन्‍हें तस्‍वीरें खींचना और उनपर लेख लिखना बेहद पसंद है। इसके अलावा इन्‍हें धर्म, फैशन, राजनीति सहित अन्‍य विषयों में रूच‍ि है। अब वह TheConnect24.com में बतौर डिज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं।
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