NASA Discovery: जब भी पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना पर विचार होता है, तो आमतौर पर इंसानों जैसे बुद्धिमान एलियन्स की कल्पना की जाती है। लेकिन वैज्ञानिकों का ध्यान हमेशा सूक्ष्म जीवन, विशेषकर बैक्टीरिया जैसे जीवों पर जाता है। हाल ही में नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ने सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAUST) और भारत के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के “साफ कमरों” में 26 नए प्रकार के बैक्टीरिया की खोज की है।
ये साफ कमरे अत्यंत नियंत्रित वातावरण वाले क्षेत्र होते हैं, जहां बैक्टीरिया के जीवित रहने की संभावना बहुत कम मानी जाती है। इसके बावजूद ये बैक्टीरिया वहां न केवल जीवित मिले, बल्कि बेहद कठोर अंतरिक्षीय परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम हैं। इन्हें “एक्सट्रेमोफाइल्स” कहा जाता है, जो रेडिएशन, रसायनों और कम तापमान में भी जिंदा रह सकते हैं।
इन जीवों में डीएनए मरम्मत, रेडिएशन प्रतिरोध और विषैले कचरे से निपटने की क्षमता पाई गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बैक्टीरिया भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा, दवाओं के विकास, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय सफाई जैसे क्षेत्रों में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका जूनिया शुल्ज और नासा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कस्तूरी वेंकटेश्वरन ने कहा कि ये बैक्टीरिया मंगल ग्रह तक भी पहुंच सकते हैं और भविष्य में अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना को समझने में मदद कर सकते हैं।
यह खोज अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह दिखाता है कि सूक्ष्मजीवों के अध्ययन से ब्रह्मांड में जीवन की खोज कितनी व्यापक हो सकती है।
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