Nuclear Bomb: दुनिया का पहला परमाणु बम अमेरिका द्वारा “मैनहैटन प्रोजेक्ट” नामक एक गुप्त सैन्य कार्यक्रम के तहत बनाया गया था। यह परियोजना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1939 में शुरू हुई और इसमें अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और कनाडा के वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व रॉबर्ट ओपेनहाइमर कर रहे थे, जिन्हें बाद में “परमाणु बम का जनक” कहा गया। इस परियोजना के अंतर्गत 1945 में पहला सफल परमाणु परीक्षण “ट्रिनिटी टेस्ट” के नाम से न्यू मैक्सिको में किया गया।
परमाणु बम की आवश्यकता क्यों पड़ी?
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान आत्मसमर्पण नहीं कर रहा था, और अमेरिका को युद्ध जल्द समाप्त करने का दबाव था। पारंपरिक हथियारों से लाखों सैनिकों और नागरिकों की जान जा रही थी। ऐसे में, अमेरिका ने एक अत्यधिक विनाशकारी हथियार की आवश्यकता महसूस की, जिससे युद्ध को निर्णायक रूप से समाप्त किया जा सके। इसी रणनीति के तहत परमाणु बम को एक “अंतिम उपाय” के रूप में देखा गया, जिसका उपयोग जापान को झुकाने के लिए किया गया।
वैज्ञानिक पहलू और तैयारी
परमाणु बम बनाने के पीछे उन्नत नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics) का प्रयोग किया गया। बम के लिए दो प्रकार की रेडियोधर्मी सामग्रियों – यूरेनियम-235 और प्लूटोनियम-239 – का इस्तेमाल किया गया। मैनहैटन प्रोजेक्ट में 130,000 से अधिक लोगों ने कार्य किया और इसकी लागत लगभग 2 बिलियन डॉलर थी। इस परियोजना की वैज्ञानिक गहराई ने मानव सभ्यता को शक्ति के साथ-साथ विनाश का भय भी दे दिया। यह अब तक के इतिहास का सबसे संवेदनशील वैज्ञानिक प्रयोग माना जाता है।
हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया, जिसका नाम था “Little Boy”। तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी पर दूसरा बम “Fat Man” गिराया गया। इन हमलों में लाखों लोग मारे गए और शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए। यह इतिहास का सबसे भयावह क्षण था। इन हमलों ने जापान को अंततः आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।
नैतिकता और विवाद
परमाणु बम के उपयोग को लेकर वैज्ञानिकों और मानवाधिकार समूहों के बीच गहरा विवाद रहा है। ओपेनहाइमर सहित कई वैज्ञानिकों ने बाद में इसका विरोध किया और इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” माना। सवाल उठे कि क्या इतने निर्दोष नागरिकों की बलि देकर युद्ध समाप्त करना उचित था? इस विषय पर आज भी वैश्विक बहस होती है। परमाणु हथियार भले ही एक सैन्य विजय का प्रतीक रहे हों, लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया में डर और विनाश का नया अध्याय लिखा।
परमाणु बम और रणनीतिक दबाव
आज, विश्व में कई देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान आदि शामिल हैं। परमाणु बम अब रणनीतिक दबाव और अवरोध (Deterrence) का हथियार बन चुका है। हालांकि इसका इस्तेमाल दुबारा न हो, इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय संधियाँ बनाई गई हैं जैसे – NPT (Non-Proliferation Treaty)। फिर भी, यह हथियार अब भी मानवता पर एक बड़ा खतरा बना हुआ है, जो शांति और संतुलन को कभी भी तोड़ सकता है।
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