Pakistan Ceasefire: भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन ने मंगलवार को नौसेना दिवस से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना की आक्रामक तैनाती और रणनीतिक स्थिति ने पाकिस्तान को संघर्षविराम का अनुरोध करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने बताया कि बेहद कम समय में 30 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां तैनात की गईं, जो किसी भी नौसेना के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है।
स्वामीनाथन ने कहा कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के ‘कैरियर बैटल ग्रुप’ के साथ अग्रिम पंक्ति के जहाज मकरान तट पर युद्ध के लिए तैयार थे। अप्रैल में लगातार सफल हथियार परीक्षणों ने नौसेना की क्षमता को और मजबूत किया। इस आक्रामक तैनाती के कारण पाकिस्तान नौसेना अपने तट के करीब ही सीमित रहने को मजबूर हुई।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय नौसेना हमले के लिए पूरी तरह तैयार थी और यदि हमला होता, तो तनाव अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ सकता था। भारतीय वायुसेना ने सीमा पार कार्रवाई की और नौसेना ने विमान उड़ाए, जिससे पाकिस्तान को यह संकेत मिला कि भारत निर्णायक कदम उठाने वाला है। इसी कारण पाकिस्तान ने संघर्षविराम का अनुरोध किया।
वाइस एडमिरल ने कहा कि नौसेना ने न केवल तनाव को नियंत्रित रखा बल्कि पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरा भी उत्पन्न किया। यही कारण था कि पाकिस्तान ने युद्धविराम की मांग की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी जलक्षेत्र में तुर्किये के नौसैनिक जहाज की मौजूदगी का भी उल्लेख किया। भारत को पहले से आशंका थी कि चीन-पाकिस्तान के बीच साजिश हो सकती है और तुर्किये भी इसमें भूमिका निभा सकता है। ऑपरेशन के दौरान यह आशंका साजोसामान हस्तांतरण के रूप में सामने आई।
स्वामीनाथन ने कहा कि तुर्किये का जहाज पाकिस्तान जाने की पूर्व योजना का हिस्सा था और भारत ने इसे मिलीभगत के रूप में देखा। उन्होंने जोर दिया कि इस पूरे ऑपरेशन से सबसे बड़ा निष्कर्ष यह है कि उच्चतम स्तर पर राजनीतिक और सैन्य समन्वय बेहद प्रभावी रहा। सेना के तीनों अंगों-थलसेना, वायुसेना और नौसेना-के बीच तालमेल उत्कृष्ट था और सभी को पता था कि दूसरा क्या कर रहा है।
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी। यह समझौता चार दिनों तक सीमा पार से हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद हुआ, जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे।
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