RightToVote: पश्चिम बंगाल में केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर (विशेष पुनरीक्षण) के लिए मांगे जा रहे दस्तावेजों ने लाखों नृत्यांगनाओं और यौनकर्मियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। आयोग की सख्त दस्तावेजी शर्तों के कारण इन महिलाओं और पुरुषों का नाम मतदाता सूची से बाहर होने की आशंका बढ़ गई है। अधिकांश यौनकर्मी अपने जन्मस्थान, माता-पिता या पारिवारिक पहचान से अनभिज्ञ हैं। उनके पास मौजूद आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्रों को आयोग द्वारा मान्यता नहीं दी जा रही है।
यौनकर्मियों का कहना है कि पहले उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज था, लेकिन अब यह कटने जा रहा है। इससे उनके संवैधानिक अधिकारों पर संकट मंडरा रहा है। कई महिलाएं बताती हैं कि इस पेशे में आने के बाद उनका घर-परिवार छूट गया, नाम बदल गया और दस्तावेज रखना उनके लिए जोखिम भरा हो गया। हिंसा और उत्पीड़न की शिकार ये महिलाएं पहले से ही सामाजिक बहिष्कार झेल रही हैं, अब मतदान का अधिकार भी उनसे छीना जा रहा है।
सोनागाछी, जो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है, वहां हजारों महिलाएं और पुरुष रोजाना शारीरिक श्रम और सेवाओं के जरिए जीवन यापन करते हैं। उनका कहना है कि भारतीय नागरिक होने के बावजूद उन्हें मतदाता सूची से बाहर करना संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन है।
कई यौनकर्मियों ने कहा कि उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका जन्म किससे हुआ। ऐसे में दस्तावेज प्रस्तुत करना असंभव है। आयोग की इस नीति से उनमें भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। यदि नाम मतदाता सूची से हट गया तो उनकी नागरिक सुविधाएं और पहचान भी समाप्त हो जाएगी। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्रीय चुनाव आयोग इस गंभीर समस्या का समाधान किस तरह करते हैं।
ये भी पढ़ें-Scindia attack on Congress: कर्नाटक में कुर्सी की लड़ाई पर भाजपा का निशाना
ये भी पढ़ें-ED Action: ईडी ने फर्जी शराब चालान घोटाले में 70 करोड़ की संपत्ति जब्त की

Theconnect24 के व्हॉट्सएप चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें


