चौंसठ योगिनी मंदिर 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच निर्मित किया गया था। यह मंदिर अर्द्धवृत्ताकार संरचना में बना है, जिसमें 64 योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन मूर्तियों की शिल्पकला अद्भुत और शारीरिक भंगिमाएँ जीवंत हैं, जो तत्कालीन स्थापत्य कला के उच्च स्तर को दर्शाती हैं।
धार्मिक महत्व
चौंसठ योगिनी मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर शक्ति पूजा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहाँ पर देवी दुर्गा के 64 रूपों की पूजा की जाती थी, जिनका संबंध तांत्रिक साधना और योगिनी तंत्र से है। यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व का प्रतीक है।
चंबल का दुर्गम क्षेत्र
यह मंदिर चंबल के दुर्गम इलाके में स्थित है, जो पहाड़ी और बीहड़ इलाकों के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र की दुर्गमता के कारण यह मंदिर लंबे समय तक आक्रमणकारियों और बाहरी आक्रांताओं से बचा रहा, जिससे इसकी प्राचीनता और संरचना आज भी सुरक्षित है।
किवदंतियाँ और मान्यताएँ
इस मंदिर से जुड़ी कई किवदंतियाँ और धार्मिक मान्यताएँ हैं। कहा जाता है कि यहाँ आने वाले साधक तांत्रिक विद्या में प्रवीण होते थे और उन्हें विशेष शक्तियाँ प्राप्त होती थीं। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस मंदिर की शक्ति आज भी अटूट है और यहाँ की साधनाएँ फलदायी होती हैं।
प्राचीन इतिहास और संरक्षण
चौंसठ योगिनी मंदिर का निर्माण कलचुरी और चंदेल वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित है। इसका संरक्षण और पुनरुद्धार कार्य किया जा रहा है ताकि यह प्राचीन धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रह सके।
पर्यटन स्थल
वर्तमान में, चौंसठ योगिनी मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ आने वाले पर्यटक इसकी अद्भुत स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह स्थल चंबल घाटी के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक है, जो इतिहास प्रेमियों और धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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