UP Politics: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 14 दिसंबर को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने जा रहा है। संगठन चुनाव प्रभारी डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय द्वारा निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े लखनऊ पहुंचेंगे, जिसके बाद नामांकन और चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव पर है, ऐसे में यूपी का नया अध्यक्ष पार्टी के लिए रणनीतिक चेहरा साबित हो सकता है।
2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से मिली हार के बाद भाजपा नेतृत्व संगठनात्मक बदलाव को लेकर बेहद गंभीर है। पार्टी इस बार ऐसा चेहरा सामने लाने की तैयारी में है, जो प्रदेश में जातीय समीकरणों को मजबूत कर सके और सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को काउंटर कर सके।
अध्यक्ष पद की दौड़ में कई बड़े नाम शामिल हैं। सबसे प्रमुख नाम उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का है, जो ओबीसी कोइरी समुदाय के बड़े नेता हैं। 2017 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के दौरान वे प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए उनका नाम सबसे आगे माना जा रहा है। इसके अलावा मोदी सरकार में राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी प्रमुख दावेदार हैं। कुर्मी समुदाय के प्रभावशाली नेता होने के साथ उनकी साफ छवि और केंद्रीय नेतृत्व से निकटता उनके पक्ष में जाती है।
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी मजबूत उम्मीदवार हैं। उन्होंने पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई है और संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं। वहीं लोधी समुदाय को साधने के लिए बीएल वर्मा और धर्मपाल सिंह के नाम पर भी चर्चा है। दोनों नेताओं का प्रभाव पश्चिमी और मध्य यूपी में माना जाता है।
इसके अलावा साध्वी निरंजन ज्योति भी संभावित नामों में शामिल हैं। निषाद समुदाय की नेता होने के साथ वे महिला और ओबीसी दोनों श्रेणियों में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण संदेश दे सकती हैं। यदि पार्टी अध्यक्ष पद ओबीसी समुदाय से न चुनने का फैसला करती है, तब ब्राह्मण नेताओं बृजेश पाठक और दिनेश शर्मा भी विकल्प हो सकते हैं। हालांकि विश्लेषक इसे कम संभावित मानते हैं।
अब सबकी निगाहें 14 दिसंबर पर टिकी हैं, जब भाजपा यह ऐलान करेगी कि उत्तर प्रदेश में उसका नया अध्यक्ष कौन होगा और आने वाले चुनावों के लिए पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ेगी।
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