Vastu tips for married couples: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में हर दिशा का अपना विशेष महत्व होता है। खासकर दंपत्ति का शयनकक्ष यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो, तो यह रिश्तों में सामंजस्य, संतान प्राप्ति और मानसिक संतुलन के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। आइए जानें, दक्षिण-पश्चिम दिशा में शयनकक्ष क्यों शुभ माना गया है और इसके क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
दांपत्य जीवन में स्थिरता प्रदान करता है
दक्षिण-पश्चिम दिशा को स्थायित्व और दृढ़ता की दिशा माना जाता है। यदि पति-पत्नी इस दिशा में शयन करते हैं तो उनके बीच विश्वास, प्रेम और समझ बनी रहती है। यह दिशा संबंधों को मजबूत करने के लिए उत्तम मानी जाती है। इससे वैवाहिक जीवन में आने वाली अनावश्यक उलझनों और टकराव की स्थिति से बचाव होता है।
संतान प्राप्ति के योग बढ़ते हैं
वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा गर्भधारण और संतान संबंधित शुभ परिणामों के लिए अनुकूल मानी जाती है। जिन दंपत्तियों को संतान संबंधी समस्याएं हो रही हों, उन्हें शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में स्थानांतरित करने की सलाह दी जाती है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को संतुलित करती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्थितियों में सुधार होता है।
मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है
इस दिशा में सोने से मन शांत रहता है और नींद गहरी आती है। मानसिक अस्थिरता, तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा पृथ्वी तत्व से जुड़ी होती है, जिससे शरीर को स्थायित्व और संतुलन मिलता है। इससे निर्णय लेने की क्षमता भी बेहतर होती है।
आपसी संबंधों में सामंजस्य बढ़ता है
इस दिशा में शयन करने से पति-पत्नी के बीच संवाद और समझ में वृद्धि होती है। जब दोनों का मानसिक स्तर संतुलित रहता है, तो अनावश्यक तकरार और गलतफहमियां कम हो जाती हैं। इससे विवाह संबंध अधिक मधुर और सहयोगात्मक बनता है।
विवाह के बाद शुरुआती जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ
विवाह के आरंभिक वर्षों में दक्षिण-पश्चिम दिशा में शयनकक्ष होने से भावनात्मक जुड़ाव गहराता है। यह दिशा नए रिश्ते को मजबूती प्रदान करती है और रिश्ते में लंबे समय तक सकारात्मकता बनाए रखती है। इससे वैवाहिक जीवन की नींव मजबूत होती है।
किन्हें इस दिशा से बचना चाहिए?
यदि घर के मुखिया या बुजुर्ग पहले से इस दिशा में रहते हैं, तो नवविवाहित दंपत्ति को किसी वैकल्पिक दिशा (जैसे दक्षिण या पश्चिम) में शयनकक्ष चुनना चाहिए। इससे परिवार में संतुलन और सम्मान की भावना बनी रहती है। वहीं, बच्चों का कमरा इस दिशा में नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे वे जिद्दी हो सकते हैं।
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