Wear Herb: रत्न और उपरत्नों की जगह जड़ी बूटियों का उपयोग आजकल विकसित हो रहा है। जड़ी बूटियां प्राकृतिक और प्रभावी होती हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करती हैं। वे मूल्यवान रत्नों के मुकाबले कम खर्च के साथ उपलब्ध होती हैं। जड़ी बूटियां विभिन्न प्रकार की समस्याओं के इलाज के लिए उपयोगी होती हैं। इसके अलावा, ये प्राकृतिक तरीके से शक्ति और संतुलन देने में मदद कर सकती हैं। ज्योतिष आचार्यों ने भी रत्न तथा उपरत्न के स्थान पर जड़ी बूटी के तंत्र को धारण करने लिए बताया है। पुराने ग्रंथों के आधार पर जड़ी बूटी के बने हुए तंत्र लोगों पर प्रयोग किया गया जिससे उन्हें लाभ भी मिला है।
बेल
जिसका सूर्य खराब हो, नीच कमजोर हो, मारकोश आदि दशा कारक हो अथवा सूर्य के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिये बेल की जड़ रविवार कृतिका अथवा पुष्य नक्षत्र के योग में लाकर लाल रेशमी वस्त्र में सिलकर, पुरूष को दाहिनी भुजा पर एवं स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
खिन्नी
जिसका चंद्र नीच, कमजोर या अशुभ भाव में स्थित हो अथवा मारकेश दशा कारक हो, अथवा चंद्र के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिये सोमवार रोहिणी अथवा पुष्य नक्षत्र के योग में खिन्नी की जड़ लाकर श्वेत रेशमी कपड़े में ताबीज की भांति सिलकर पुरूष को दाहिनी एवं स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
नागफनी
यदि मंगल नीच, अस्त, शत्रु क्षेत्र में, अशुभ भाव में अथवा मारकेश दशा कारक हो। ऐसी दशा में या मंगल के शुभ प्रभाव की वृद्धि के लिये नागफनी की जड़ अथवा तने का कोई हिस्सा मंगलवार, मृगशिरा या धनिष्ठा नक्षत्र के योग में लाकर लाल रेशमी कपड़े में तावीज की भांति सिलकर के पुरूष का दानिनी तथा स्त्रियों की बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
विधारा
अगर किसी का बुध अस्त या नीच हो अथवा कर्क राशि में हो अथवा दशा में मारकेश दशा बनाता हो, बुध के अनिष्टकारी प्रभाव को दूर करने के लिये तथा बुध के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिये बुधवार आर्द्रा नक्षत्र अथवा इतिवार पुष्य नक्षत्र के योग में हरे रेशमी कपड़े में तावीज की भांति सिलकर पुरूष को दाहिनी भुजा में एवं प स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
भटकटैया या घमिरा
यदि किसी का गुरू खराब हो, नीच राशि में हो अथवा अस्त हो, अष्टम या द्वादश हो अथवा दशा में मारकेश दशा बना रहा हो। इस प्रकार गुरू के खराब प्रभाव को दूर करने के लिये एवं शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिये गुरू ग्रह के दूसरे लाभ प्राप्त करने के लिये गुरूवार पुनर्वसु नक्षत्र अथवा इतिवार पुष्य नक्षत्र के योग में बड़ी भटकटैया या घमिरा की जड़ पीले रेशमी कपड़े ताबीज की भांति सिल कर पुरूष दाहिनी भुजा एवं स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
सरफोंका
जिस जातक का शुक्र नीच, लग्न या राशि में हो, अस्त हो, दशा में मारकेश बना रहा हो अथवा शत्रु क्षेत्र में होकर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव डाल रहा हो अथवा शत्रु क्षेत्र में होकर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव डाल रहा हो उसको दूर करने के लिये तथा शुक्र को सबल एवं शुभ प्रभावकारी बनाने के लिये पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र एवं शुक्रवार दिन अथवा इतिवार पुष्य नक्षत्र के योग में श्वेत रेशमी कपड़े में ताबीज की भांति सिल्कर के पुरूषों को दाहिनी भुजा एवं स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
बिछुआ (कौवा)
जिन जातकों का शनि नीच राशि में हो, अस्त हो अथवा मारकेश दशा बनाता हो या शत्रु राशि में होकर बुरा असर डाल रहा हो या किसी के ढैया अथवा साढ़े साती शनि खराब प्रभाव डाल रहा हो तो बिछुआ की जड़ शनिवार पुष्य अभवा अनुराधा नक्षत्र के योग में नीले रेशमी कपड़े में ताबीज की भांति सिल करके पुरूषों को दाहिनी भुजा में और स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।
सफेद चंदन
जिन जातकों का राहु नीच राशि में हो, शत्रु क्षेत्र में हो 4,5,6,7,8,12 भावों में हो, या दशा में मारकेश दशा बनता हो तो राहु के खराब प्रभाव को शांत करने के लिये, शुद्ध श्वेद चंदन का छोटा टुकड़ा काले रेशमी कपड़े में सिलकर बुधवार, आर्द्रा या स्वाती नक्षत्र के योग में सिलकर पुरूषों को दाहिनी भुजा एवं स्त्रियों को बायीं भुजा में धारण करना उचित होगा।