Yoga for migraine: माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसमें सिर के एक हिस्से में तीव्र दर्द, मतली और प्रकाश या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार माइग्रेन का एक प्रमुख कारण मानसिक तनाव और लाइफस्टाइल डिसबैलेंस है। योग, विशेष रूप से प्राणायाम और ध्यान, मानसिक तनाव को नियंत्रित करता है और मस्तिष्क में एंडोर्फिन जैसे शांतिदायक रसायनों को सक्रिय करता है। यह न केवल तनाव घटाता है बल्कि माइग्रेन के ट्रिगर्स को भी कम करता है।
अनुलोम-विलोम और माइग्रेन में राहत
अनुलोम-विलोम एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली प्राणायाम है, जो मस्तिष्क में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है। यह नाड़ी शुद्धि करता है, जिससे मानसिक स्पष्टता आती है और माइग्रेन का प्रभाव कम होता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि रोजाना सुबह 10-15 मिनट तक अनुलोम-विलोम किया जाए, तो माइग्रेन की तीव्रता और आवृत्ति में उल्लेखनीय कमी देखी जा सकती है। यह अभ्यास तनाव, चिंता और उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
शवासन: माइग्रेन में मानसिक विश्राम का अमोघ उपाय
शवासन यानी रिलैक्सेशन पोज योग का एक शांतिपूर्ण आसन है जो माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए वरदान है। यह शरीर और मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देता है, जिससे थकावट और तनाव दूर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार शवासन के दौरान गहरी सांसें लेने और विचारों से मुक्त होने से मस्तिष्क की उत्तेजना कम होती है और सिरदर्द में राहत मिलती है। माइग्रेन के दौरान या उसके तुरंत बाद शवासन करना विशेष लाभदायक होता है।
बालासन (शिशु मुद्रा): सिरदर्द कम करने में सहायक
बालासन शरीर को रिलैक्स करता है और रीढ़ की हड्डी को फैलाता है, जिससे मस्तिष्क तक रक्त का संचार बेहतर होता है। माइग्रेन के दौरान यह मुद्रा तनाव को कम करती है और आंखों, माथे तथा गर्दन की मांसपेशियों को शांत करती है। नियमित अभ्यास से सिरदर्द की तीव्रता में गिरावट आती है। योग विशेषज्ञ इसे माइग्रेन का एक प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान मानते हैं, जो मेडिटेशन के साथ मिलकर और प्रभावशाली हो जाता है।
ब्रह्मरी प्राणायाम: तंत्रिका तंत्र की शांति के लिए
ब्रह्मरी प्राणायाम यानी भौंरे की ध्वनि के साथ की जाने वाली श्वास प्रक्रिया, माइग्रेन रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इससे मस्तिष्क शांत होता है और तनाव के हार्मोन कम हो जाते हैं। ब्रह्मरी का अभ्यास माइग्रेन के दौरान होने वाली आवाज और प्रकाश संवेदनशीलता को भी कम कर सकता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि प्रतिदिन सुबह और रात को 5 मिनट इसका अभ्यास किया जाए, तो माइग्रेन की तीव्रता कम हो सकती है।
लाइफस्टाइल के साथ योग का तालमेल
सिर्फ योगासन करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और स्क्रीन टाइम कम करने जैसी आदतों के साथ मिलाकर किया जाए, तो माइग्रेन पर दीर्घकालिक नियंत्रण पाया जा सकता है। योग शरीर को अलर्ट करता है कि कब वह अधिक थका हुआ या तनावग्रस्त है। ऐसे में माइग्रेन के ट्रिगर को समय रहते पहचाना और रोका जा सकता है। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि योग को जीवनशैली में धीरे-धीरे शामिल किया जाए, ताकि उसका लाभ स्थायी रूप से मिल सके।
डॉक्टर की सलाह के साथ योग अपनाएं
हर व्यक्ति का माइग्रेन अलग होता है’-किसी को नींद की कमी से होता है, किसी को तेज लाइट से। ऐसे में योगासन करते समय किसी अनुभवी योग शिक्षक या डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर माइग्रेन के साथ कोई और न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो तो, योगासन का चयन सावधानी से करना चाहिए। सही मार्गदर्शन में किए गए योग अभ्यास माइग्रेन को प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं और दवाओं पर निर्भरता घटा सकते हैं।
आद्र मुद्रा (Relaxation Mudra) से गहरी नींद और तनाव से राहत
आद्र मुद्रा एक विशेष योगिक हस्त मुद्रा है जो माइग्रेन में लाभदायक मानी जाती है। यह मुद्रा शरीर और मस्तिष्क को गहरी शांति प्रदान करती है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करती है। माइग्रेन के कई मरीज अनिद्रा या बार-बार नींद टूटने से परेशान रहते हैं। आद्र मुद्रा नियमित रूप से करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है, जिससे मस्तिष्क को विश्राम मिलता है। जब मस्तिष्क तनाव मुक्त होता है, तो माइग्रेन के ट्रिगर कम सक्रिय होते हैं। इस मुद्रा को किसी भी समय, शांत वातावरण में बैठकर 10-15 मिनट तक किया जा सकता है। इसके साथ अगर ध्यान और प्राणायाम भी किया जाए, तो असर और बेहतर होता है।
सूर्य नमस्कार से रक्त संचार में सुधार
सूर्य नमस्कार को योग का सम्पूर्ण अभ्यास माना जाता है। इसमें 12 चरण होते हैं, जो शरीर की प्रत्येक मांसपेशी को सक्रिय करते हैं। माइग्रेन में सूर्य नमस्कार का विशेष महत्व है क्योंकि यह शरीर के सभी अंगों तक रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है, विशेषकर मस्तिष्क तक। एक्सपर्ट मानते हैं कि माइग्रेन के कई मामले सिर में रक्त प्रवाह की अनियमितता के कारण होते हैं। रोज सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से शरीर ऊर्जावान रहता है और तनाव दूर होता है। हालांकि माइग्रेन के तीव्र लक्षणों के दौरान इसे न करने की सलाह दी जाती है। इसे रोग की रोकथाम के तौर पर अपनाना ज्यादा लाभकारी होता है।
योग nidra (योग निद्रा) से तंत्रिका तंत्र का पुनर्निर्माण
योग निद्रा यानी गाइडेड डीप रिलैक्सेशन तकनीक, माइग्रेन पीड़ितों के लिए चमत्कारिक लाभ देने वाली पद्धति है। इसमें व्यक्ति लेटकर गहन विश्राम की स्थिति में मस्तिष्क को विश्राम देता है, जिससे तनाव के मूल स्रोत तक पहुंचा जा सकता है। माइग्रेन के बार-बार होने के पीछे कई बार अवचेतन मन में जमा हुआ पुराना तनाव भी जिम्मेदार होता है। योग निद्रा इस तनाव को धीरे-धीरे नष्ट करने का कार्य करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, सप्ताह में 3-4 बार योग निद्रा का अभ्यास करने से माइग्रेन की तीव्रता व आवृत्ति में स्पष्ट कमी देखी जा सकती है। यह एक गैर-औषधीय, प्राकृतिक और साइड-इफेक्ट रहित उपाय है।
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