Sunday, May 12, 2024

चिंतन करने से चमत्‍कार‍िक फल की होती है प्राप्‍त‍ि

आनंद की प्राप्‍त‍ि कैसे हो? शरीर में हृदय और मस्‍त‍िष्‍क दोनो ही विद्यामन है। हृदय में प्राण तत्‍व का निवास और मस्‍त‍िष्‍क में बुद्ध‍ि का प्राण तत्‍व शरीर के अंदर निह‍ित शक्‍त‍ियों को नियंत्र‍ित करता है जबकि बुद्ध‍ि वाह्य शक्‍त‍ियों को नियंत्र‍ित करती है। यद‍ि कहें क‍ि बुद्ध‍ि विज्ञान है और हृदय अध्‍यात्‍म विज्ञान है तो गलत नहीं होगा। जब बुद्ध‍ि का विकास होता है तो अहंकार, क्रोध, बुरी प्रवृत्ति‍या, रोग, शोक, भय, तनाव आद‍ि का जन्‍म होता है। तर्क की अपेक्षा कुतर्क करने की क्षमता का विकास होता है। वहीं ठीक इसके विपरीत जब हृदय पक्ष का विकास होता है तो शांत‍ि, धैर्यता, दृढ़ता और ईश्‍वरीय शक्‍त‍ियों की कृपा प्राप्‍त होत है।

आप यद‍ि जीवन में आनंद प्राप्‍त करना चाहते हैं तो हृदय को जागृत करो। पूजा-पाठ, सदच‍िंंतन, अच्‍छी पुस्‍तकें, भजन, आरती, चालीसा आदि‍ का पाठ एवं श्रवण करने से हृदय पक्ष व‍िकस‍ित होकर देव-कृपा प्राप्‍त होने लगती है लेक‍िन ध्‍यान रखें बिना हृदय पक्ष जागृत हुए देव-कृपा प्राप्‍त‍ि संभव नहीं है।

आज के समय में लोग 5-10 मिनट की पूजा करके 23 घंटा 50 म‍िनट ईश्‍वर का ब‍िल्‍कुल भी चिंतन नहीं करते। ठीक है पूजा बेशक 5-10 म‍िनट ही करें लेक‍िन च‍िंतन उठते-बैठते, सोते-जागते कभी भी कर सकते हैं। आप जिस देवी-देवता रूपी शक्‍त‍ियों की अराधना करते हैं, समय मिलने पर उसका च‍िंंतन-स्‍मरण अवश्‍य करते रहें, फ‍िर देख‍िये आपको अपनी संक्ष‍िप्‍त पूजा प्रार्थना का क‍ितनी जल्‍दी चमत्‍कारि‍क फल प्राप्‍त होता है।

डि‍स्‍कलेमर: धर्म संग्रह, ज्‍योति‍ष, स्‍वास्‍थ्‍य, योग, इति‍हास, पुराण सहि‍त अन्‍य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशि‍त व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभि‍न्न प्रकार के स्‍त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधि‍त सत्‍यता की पुष्‍ट‍ि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्‍योति‍ष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्‍य लें। इस सामग्री को (Viewers) की दि‍लचस्‍पी को ध्‍यान में रखकर यहां प्रस्‍तुत किया गया है, जिसका कोई भी (scientific evidence) नहीं है।

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