पशुओं हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। इसके बिना हमारा जीवन अधूरा माना जा सकता है। पशुओं का योगदान विभिन्न क्षेत्रों में है, जिनमें खाद्य, आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय, और आध्यात्मिक महत्व शामिल है। पशुओं की देखभाल में मुख्य रूप से पशु-प्रजनन, पोषण, आवास तथा स्वास्थ्य रक्षा संबंधी देखभाल सम्मिलित हैं। पशुओं का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में दूध, मांस आदि खाद्य पदार्थों के उत्पादन के साथ-साथ जैविक खाद, चमड़ा, गोबर गैस आदि उर्जा स्त्रोत के रूप में सम्मिलित हैं।
दूध की प्राप्ति
हम सभी दूध पीते हैं, दूध बच्चों के लिए संपूर्ण भोजन है। यह दूध हमें अपनी मां के अलावा पशुओं से भी प्राप्त होता है। दूध ऐसा पेय पदार्थ है जिससे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण तथा विटामिन आदि आवश्यक तत्व पाये जाते हैं। गाय का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम होता है। गाय का दूध पीला क्यों होता है? गाय का दूध और घी पीला होता है क्योंकि गाय के दूध में कैरोटीन होता है और यही कैरोटीन विटामिन ‘ए’ में बदलती है। पीलापन इसी कैरोटीन की उपस्थिति के कारण होता है।
कृषि में पशुओं का उपयोग
हम दैनिक जीवन में देखते हैं कि हमारे कृषि कार्यों में अधिकतर पशु ही काम आते हैं। खेत की जुताई, बुवाई, मड़ाई, ढुलाई, सिचाई आदि सभी कार्य पशुओं द्वारा कही किये जाते हैं। कृषि कार्यों में बैल, भैसे, ऊंट आदि का उपयोग ज्यादा होता है। हमारे देश में औसत जोत का आकार छोटा है, इस कारण ट्रैक्टर आदि की संख्या अत्यंत कम है।
जैविक खाद की प्राप्ति
आपने खेत में केचुआ देखा है। केचुआ रासायनिक खाद के प्रयोग से मर जाता है। केचुए को प्रकृति का हलवाहा कहते हैं। जीवांश खाद, पशु के गोबर तथा मूत्र से बनती है। यह खाद मिट्टी में जीवांश की मात्रा बढ़ाती है, जिससे फसलों का उत्पादन अच्छा होता है। हमारे पास जितने अधिक पशु होंगे उतनी ही अधिक जीवांश खाद हमें प्राप्त होगी। कम्पोस्ट खाद बनाने में पशुओं के गोबर और मूत्र का प्रयोग किया जाता है।
अर्थव्यवस्था में योगदान
हमको अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। गांवों में अधिकांश किसान डेरी के रूप में पशुपालन करते हैं तथा अपनी आवश्यकता से बचे दूध को बेचकर चिकित्सा, शिक्षा, वस्त्र आदि दैनिक आवश्यकताओं के लिए धन प्राप्त करते हैं। जिस स्वेटर से आप जाड़े में अपना शरीर गर्म रखते हैं वह भेड़ के ऊन से बना होता है। पशुओं के चमड़े से जैकेट, जूते, टोपी तथा थैले आदि बनते हैं। पशुपालन तथा डेरी उद्योग से देश के बहुत लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। आजकल पशुपालन से रोजगार सृजन की अधिक संभावनायें हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है।
डिस्कलेमर: धर्म संग्रह, ज्योतिष, स्वास्थ्य, योग, इतिहास, पुराण सहित अन्य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशित व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभिन्न प्रकार के स्त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्योतिष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इस सामग्री को (Viewers) की दिलचस्पी को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है, जिसका कोई भी (scientific evidence) नहीं है।