Saturday, April 19, 2025

पांचमुखी रूद्राक्ष को कहते हैं कालाग्‍न‍ि, जानें इसका विशेष प्रभाव

पांचमुखी रूद्राक्ष स्‍वयं रूद्र-स्‍वरूप है। इसे कालाग्‍न‍ि के नाम से भी जाना जाता है। पांचमुखी रूद्राक्ष सर्वाध‍िक शुभ और पुण्‍यदायी माना जाता है, इससे यशोवृद्ध‍ि होती है और वैभव, संपन्‍नता भी आती है। इससे सुख शांत‍ि और ख्‍यात‍ि की प्राप्‍त‍ि होती है। दूष‍ित, दृष्‍ट‍िग्रस्‍त से उत्‍पन्‍न बाधायें भी इस रूद्राक्ष के धारणकर्ता को नहीं व्‍यापती।

पांचमुखी रूद्राक्ष का संचालन ग्रह बृहस्‍पत‍ि है। यह ग्रह धन, वैभव, ज्ञान, गौरव का भी कारक है। यह मज्‍जा, यकृत, चरण, नितंब इत्‍याद‍ि का भी कारक ग्रह है। बृहस्‍पत‍ि यद‍ि बूरे प्रभाव में हो तो व्‍यक्‍त‍ि को अनेक तरह के कष्‍ट होते हैं। बृहस्‍पत‍ि स्‍त्री के लिये पत‍ि का और पुरूष के ल‍िये पत्‍नी का भी कारक है।

पांचमुखी रूद्राक्ष की प्रत‍िकूलता से निर्धनता और दाम्‍पत्‍य-सुख में व‍िघ्‍न उत्‍पन्‍न होता है। इसके प्रत‍िकूल होने पर अनेक प्रकार की बीमार‍ियां भी उत्‍पन्‍न होती है। इससे चर्बी की बीमारी, गुर्दा, जांघ और कान संबंधी बीमार‍ियां उत्‍पन्‍न होती हैं। इसका एक दुष्‍प्रभाव‍ित रोग SUGAR भी है। इन सभी बीमार‍ियों के न‍िदान और निवारण हेतु सभी को पंचमुखी रूद्राक्ष अवश्‍य धारण करना चाह‍िये।

पांचमुखी रूद्राक्ष सभी रूद्राक्षों में सर्वाध‍िक सस्‍ता है, अत: एक दाना धारण करने की अपेक्षा पूरी माला ही धारण कर लेनी चाह‍िये। इसके संचालक ग्रह बृहस्‍पत‍ि हैं, जो सभी ग्रहों में सबसे बड़े और देवताओं के भी गुरू हैं। धनु और मीन राश‍ि वालों के साथ ही साथ व्‍यापार में संलग्‍न व्‍यक्‍त‍ियों को पांचमुखी रूद्राक्ष आवश्‍यक रूप से अवश्‍य प्रयोग करना चाह‍िये।

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