बारहमुखी रूद्राक्ष आदित्य अर्थात सूर्य स्वरूप है। सभी शास्त्र और पुराणों में इस रूद्राक्ष पर सूर्य की प्रतिष्ठा मानी गयी है। बारहमुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाला निरोगी और अर्थलाभ करके सुख भोगता हुआ जीवन व्यतीत करता है, दरिद्रता उसे कभी छू भी नहीं सकती।
बारहमुखी रूद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाकर शक्ति प्रदान करता है। जो मनुष्य सर्वाधिकार-संपन्न बनकर सम्राट की तरह शासन करना चाहता है उसे यह रूद्राक्ष धारण करना ही चाहिये।
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सूर्य से ही जीवों की उत्पत्ति होती है- ‘आदित्यादेव भूतानि जायन्ते’। सूर्य स्वयं बारहमुखी रूद्राक्ष पर प्रतिष्ठित होकर धारणकर्ता को सूर्यवत तेजस्विता, प्रखरता और सम्राट स्वरूपता प्रदान करते हैं।
जिस प्रकार सूर्य ग्रह मंडल के बीच सम्राट की तरह हैं, उसी प्रकार जो मनुष्य इस रूद्राक्ष को धारण करता है, वह राजा की भांति बन जाता है। विश्व के अंधकार को दूर करने वाला सूर्य इस रूद्राक्ष के माध्यम से धारणकर्ता के मन के भीतर के दु:ख, निराशा, पीड़ा और दुर्भाग्य के अंधकार को भी दूर कर देता है।
बारहमुखी रूद्राक्ष धारणकर्ता को तेजस्वी बना देता है। सूर्य की तरह यशस्वी बना देता है। वर्तमान समय में मानव जाति के लिये ये रूद्राक्ष कल्पवृक्ष स्वरूप है।
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