संतरे में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है और विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। साथ ही, यह एंटीऑक्सीडेंट्स की समृद्ध श्रोत होता है और रोगों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। संतरे का वैज्ञानिक नाम साइट्रिक वालोरिस तथा वनस्पतिक ना हेस पिराडियम है। अंग्रेजी में इसे औरेंज के नाम से जाना जाता है।
संतरा मूलत: भारत की उपज है, लेकिन आज के समय में यह अमेरिका, चीन, जापान, मलाया, इजराइल, ब्राजील आदि देशों में बहुतायत से पैदा होता है। संतरे की अनेक प्रजातियां हैं। कुछ प्रजाति मीठी, तो कुछ खट्टी होती हैं। इसके अलावा, कुछ प्रजातियां खट्टी-मीठी दोनों होती हैं। इसे ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। हमारे देश में नागपुर के संतरे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। हलांकि अब देश के अनेक राज्यों में इसके बाग देखने को मिलते हैं।
संतरे का संपूर्ण वृक्ष ही औषधिय गुणों से भरपूजर है। इसके छिलके से न केवल इत्र बनाया जाता है, अपितु औषधियां भी बनाई जाती हैं। संतरे से जैम, जैली, अचार, मुरब्बा आदि भी तैयार किए जाते हैं। इसमें सभी आवश्यक रासयनिक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा और रेशा पाए जाते हैं।
संतरे में सर्वाधिक मात्रा विटामिन-सी की होती है। विटामिन-सी शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। संतरे में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। इसके सेवन से कैल्शियम की दैनिक आवश्यकता पूर्ण हो सकती है। कैल्शियम से हमारे दांत, हड्डियां मजबूत बनी रहती है तथा इनसे जुड़े रोगों से बचाव होता है। यदि किशोरियां संतरे का नियमित रूप से सेवन करें तो रजोनिवृत के बाद होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस से बचाव हो सकता है।
संतरे में आयरन तत्व की प्रधानता होती है। इसके सेवन से न केवल शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ती है, अपितु रक्त शुद्ध भी होता है। संतरे का सेवन मूत्र संबंधी सभी समस्याओं का समाधान करता है। पेशाब खुलकर होता है। मूत्र त्याग के दौरान होने वाला दर्द, जलन से राहत मिलती है।
सिरदर्द एक ऐसी बीमारी है जिससे अनेक लोग पीड़ित हैं। निजात पाने के लिए, संतरे के रस में अनार का रस मिलाकर लेना चाहिए। जिन लोगों में खून की कमी हो या जो रक्ताल्पता के शिकार हों, उन्हें रोजाना संतरे का सेवन करना चाहिए।
संतरा कुपोषण भी दूर करता है। कुपोषण की वजह से शरीर पनपता नहीं है। कई बीमारियां घर कर जाती हैं। यदि नियमित रूप से संतरा खाया जाए तो शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। मांसपेशियां पुष्ट तथा बलशाली होती हैं। मुंह की दुर्गंध एक ऐसी समस्या है जिसकी वजह से व्यक्ति किसी से बात करने में हिचकता है, लेकिन संतरे का सेवन मुंह की दुर्गंध दूर करता है।
बच्चों को सूखा रोग हो जाता है। ऐसे में यदि उन्हें नियमित रूप से संतरा दिया जाए तो रोग दूर होने में मदद मिलती है। संतरे में विटामिन-सी और शर्करा दोनों होती है इसलिए इसके सेवन से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है तथा थकान, कमजोरी दूर होती है। इसलिए, “संतरा, स्वाद भी सेहत भी” का अर्थ है कि संतरा न केवल हमें स्वादिष्टता का आनंद देता है, बल्कि यह हमारी सेहत को भी बनाए रखने में मदद करता है।
By.Staff Reporter: Amit Mishra
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