Thursday, May 9, 2024

दोमुखी रूद्राक्ष है साक्षात अग्‍न‍ि का स्‍वरूप

दोमुखी रूद्राक्ष गौरी स्‍वरूप है, इसे श‍िव-श‍िवा रूप भी कहा जाता है। दोमुखी रूद्राक्ष साक्षात आग्‍न‍ि स्‍वरूप है, जिसके शरीर पर ये प्रत‍िष्‍ठ‍ित होता है, उसके जन्‍म-जन्‍मांतर के पाप उसी प्रकार नष्‍ट हो जाते हैं, जिस प्रकार अग्‍न‍ि ईधन को जला डालती है।

इस रूद्राक्ष का संचालन ग्रह चंद्रमा है, अत: कर्क राश‍ि वालों को इसे अवश्‍य ही धारण कर लाभ उठाना चाह‍िये। इस रूद्राक्ष के धारण करने से चंद्रमा की प्रत‍िकूलता से उत्‍पन्‍न सभी दोषों का निवारण हो जाता है। ज्‍योत‍िषीय दृष्‍ट‍ि से चंद्रमा हृदय, फेफड़ा, मस्‍त‍िष्‍क, वामनेत्र, गुर्दा, भोजन-नली, शरीरस्‍थ जल-मात्रा इत्‍याद‍ि का कारक है।

चंद्रमा की प्रत‍िकूल स्‍थ‍ित‍ि तथा दुष्‍प्रभाव के कारण हृदय तथा फेफड़ों की बीमारी होती है। बांयी आंख की खराबी, खून की कमी, जल संबंधी राेग, गुर्दा कष्‍ट, मास‍िक धर्म रोग, स्‍मृत‍ि-भ्रंश इत्‍याद‍ि रोग होते हैं। इसके दुष्‍प्रभाव से द‍र‍िद्रता तथा मस्‍त‍िष्‍क व‍िकार भी होते हैं।

सभी प्रकार की प्रत‍िकूलताओं तथा दुष्‍प्रभावों से बचने के लिये दोमुखी रूद्राक्ष के दो दाने चमत्‍कार‍िक लाभ के लिये अवश्‍य धारण करना चाह‍िये। कर्क राश‍ि वालों को इसे अवश्‍य प्रयोग करना चाह‍िये।

डि‍स्‍कलेमर: धर्म संग्रह, ज्‍योति‍ष, स्‍वास्‍थ्‍य, योग, इति‍हास, पुराण सहि‍त अन्‍य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशि‍त व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभि‍न्न प्रकार के स्‍त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधि‍त सत्‍यता की पुष्‍ट‍ि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्‍योति‍ष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्‍य लें। इस सामग्री को (Viewers) की दि‍लचस्‍पी को ध्‍यान में रखकर यहां प्रस्‍तुत किया गया है, जिसका कोई भी (scientific evidence) नहीं है।

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