विश्व धरोहर दिवस, जिसे विश्व विरासत दिवस भी कहा जाता है, विश्वभर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों की महत्वपूर्णता और उनके संरक्षण को साझा करने का एक दिन है। यह प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे पहली बार यूनेस्को (UNESCO) ने अप्रैल 1983 में विश्व धरोहर दिवस को पहली बार मनाने का निर्णय लिया था। विश्व आयोजन के रूप में यूनेस्को के 22वें सम्मेलन में इसे मान्यता मिली।
भारत के स्मारक स्थलों की कुल संख्या 3,691 है। इनमें से 38 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल विभिन्न प्राचीन, सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धि को प्रतिबिम्बित करते हैं। ये स्थल भारतीय इतिहास, संस्कृति और प्रकृति के महत्वपूर्ण अंग हैं जो विश्व की साझा धरोहर के रूप में माने जाते हैं। इनमें ताजमहल, अजंता और ऐलोरा की गुफाएं भी शामिल हैं।
विश्व धरोहर दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों के विषय में जागरूकता फैलाई जाती है और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्थानीय समुदाय भी अपने क्षेत्र में धरोहरों के महत्व को समझाने और संरक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
विश्व धरोहर दिवस हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के महत्व को समझाता है। इस दिन का महत्व हमें धरोहर संरक्षण के प्रति जागरूक बनाता है और हमें सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए प्रेरित करता है।
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