Friday, May 10, 2024

जानें डॉक्‍टर आंबेडर ने जब महात्‍मा गांधी, कांग्रेस का किया था विरोध

डॉक्‍टर आंबेडर ने अपने सार्वज‍न‍िक जीवन में महात्‍मा गांधी और कांग्रेस का विरोध किया था और कुछ अवसरों पर उनके इस व‍िरोध में कटुता भी थी, लेक‍िन इस आधार पर उनके देशप्रेम और राजनीत‍िक स्‍वतंत्रता के प्रत‍ि उनकी न‍िष्‍ठा पर संदेह करने का कोई औच‍ित्‍य नहीं है। डॉक्‍टर आंबेडर प्रारंभ से ही देश की राजनीत‍िक स्‍वतंत्रता के समर्थक थे और उनका यह मूल मनोभाव सदैव बना रहा।

डॉ. आंबेडर ने 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का विरोध किया था और गांधीजी द्वारा संचाल‍ित इस आंदोलन को ‘अनुत्तरदाय‍ित्‍वपूर्ण और पागलपन भरा कार्य’ बताया था, लेक‍िन इस प्रसंग में इस बात को ध्‍यान में रखना होगा क‍ि भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध तो उदारवादी नेता तेजबहादुर सप्रू और ह‍िन्‍दू महासभा के नेता सावरकर द्वारा भी किया गया थाा। यह देश की स्‍वतंत्रता का विरोध नहीं था। ये तो देश की स्‍वतंत्रता के लिए अपनाई जाने वाली रणनीत‍ि और व्‍यूह रचना के मतभेद थे।

डॉक्‍टर आंबेडर न केवल प्रबल देशभक्‍त बल्‍क‍ि राष्‍ट्र की एकता को बनाए रखने के भी प्रबल समर्थक थे। कुछ पक्षों द्वारा कहा गया है क‍ि डॉ. आंबेडर ने भारत के विभाजन और पाक‍िस्‍तान के न‍िर्माण में रूच‍ि ली लेक‍िन वस्‍तुत: आंबेडर के संबंध में इस प्रकार को अपनाने का कोई आधार नहीं है।

देश के व‍िभाजन के संबंध में डॉ. आंबेडर का विचार वही था, ज‍िसे कुछ महीनों बाद नेहरू और पटेल ने अपनाया था। विचार यह था क‍ि यद‍ि भारत की राजनीत‍िक समस्‍या का अन्‍य कोई व‍िकल्‍प नहीं है, तो हमें पाक‍िस्‍तान स्‍वीकार करना ही होगा। प्रारंभ में वे देश के व‍िभाजन के विरोधी थे और उनका विचार था क‍ि “कोई विभाजन नहींं, बल्‍क‍ि मुस्‍ल‍िम लीग का अंत और ह‍िन्‍दुओं तथा मुसलमानों की एक सम्‍म‍िल‍ित पार्टी की स्‍थापना ‘ह‍िन्‍दू राज के भूत’ को दफनाने का एकमात्र प्रभावदायक मार्ग है।” अंत में वे इस न‍िष्‍कर्ष पर पहुंचे क‍ि ” जब मुस्‍ल‍िम वर्ग हर कीमत पर पाक‍िसतान लेने के लिए दृढ़ निश्‍चयी है तब इसमें संदेह नहीं की बुद्ध‍िमत्तापूर्ण मार्ग उसे सिद्धांत रूप में स्‍वीकार कर लेना है।”

यह स्‍थ‍ित‍ि विभाजन के प्रत‍ि उनके यथार्थवादी दृष्‍ट‍िकोण का पर‍िचय देती है और यथार्थवादी दृष्‍ट‍िकोण अपनाते हुए ही उन्‍होंने कहा था क‍ि पाक‍िस्‍तान, ह‍िन्‍दुओं और मुसलमानों दोनों को, दासता तथा अत‍िक्रमण के भय से मुक्‍त कर देगा। डॉ. आंबेडर ने यह भी प्रस्‍ताव किया था क‍ि भारत के सभी मुसलमान पाक‍िस्‍तान तथा पाक‍िस्‍तान से सभी ह‍िन्‍दू भारत स्‍थानान्‍त‍र‍ित हो जाएं, ज‍िससे कोई झगड़ा और खून-खराबा न हो, लेकि‍न डॉ. आंबेडर की इस बात पर क‍िसी ने ध्‍यान नहीं दिया।

भारत के अन्‍य कुछ राजनेताओं के समान ही डॉ. आंबेडर भी ऐसा सोचते थे क‍ि एक बार भारत का विभाजन हो जाने के बाद देश की एकता को पुन: प्राप्‍त किया जा सकेगा। 1946 के अंत‍िम द‍िनों में उन्‍होंने कहा था, मुझे यह कहने में कोई ह‍िचक‍िचाहट नहीं होती क‍ि ज‍िस लीग ने देश के व‍िभाजन के लिए आंदोलन क‍िया है, कुछ द‍िन पश्‍चात जब जागृत‍ि आएगी, यह सोचना प्रारंभ कर देगी क‍ि हर प्राणी के लिए संगठ‍ित भारत ही अच्‍छा था।” कहने की आवश्‍यकता नहीं क‍ि उनका यह व‍िचार यथार्थवाद‍िता से बहुत दूर था।

डि‍स्‍कलेमर: धर्म संग्रह, ज्‍योति‍ष, स्‍वास्‍थ्‍य, योग, इति‍हास, पुराण सहि‍त अन्‍य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशि‍त व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभि‍न्न प्रकार के स्‍त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधि‍त सत्‍यता की पुष्‍ट‍ि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्‍योति‍ष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्‍य लें। इस सामग्री को (Viewers) की दि‍लचस्‍पी को ध्‍यान में रखकर यहां प्रस्‍तुत किया गया है, जिसका कोई भी (scientific evidence) नहीं है।

आपकी राय

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...
अन्य खबरे
Advertisements
मार्किट लाइव
यह भी पढ़े
error: Content is protected !!