Friday, May 10, 2024

तिलक: प्राचीनता का अनादर करना राष्ट्रीयता का पतन

तिलक का राष्‍ट्रवाद अंशतया पुनरूत्‍थानवादी और पुनर्निर्माणवादी था। उन्‍होंने वेदों तथा गीता से आध्‍यात्‍मिक शक्‍त‍ि एवं राष्‍ट्रीय उत्‍साह ग्रहण करने का संदेश दिया और बतलाया कि भारत को प्राचीन परंपराओं के आधार पर ही आज के भारत के लिए स्‍वस्‍थ राष्‍ट्रवाद की स्‍थिति को प्राप्‍त किया जा सकता है।

बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों में यह भावना उत्‍पन्‍न करने का अथक प्रयास किया कि उन्‍हें गीता और वेदों के महान संदेशों से नई शक्‍त‍ि और नई चेतना ग्रहण करनी चाहिए। ऐसा करने पर ही भारत वह आध्‍यात्‍म‍िक शक्‍त‍ि प्राप्‍त कर सकेगा, जिसके बल पर ब्रिटिश शासन से टक्‍कर लेकर स्‍वराज्‍य प्राप्‍त किया जा सकेगा।

सुधारों के नाम पर प्राचीनता का अनादर करना राष्‍ट्रीयता के पतन का प्रतीक है। यदि भारत में सच्‍ची राष्‍ट्रीयता का प्रसार करना है तो उसके लिए आवश्‍यक है कि प्राचीन संस्‍कृति का पुनर्जागरण किया जाए।

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