Sunday, April 28, 2024

उत्कटासन: घुटने और जांघों को मजबूत बनाने का सरल उपाय

शरीर की इस स्‍थ‍ित‍ि इस आसन में कुछ ऐसी प्रतीत होती है जैसे यह व्‍यक्ति किसी विश‍िष्‍ट कार्य के लिए ब‍िल्‍कुल तत्‍पर है। इस स्‍थ‍ित‍ि को ‘उत्‍कटासन’ कहते हैं। कुछ योगी इसे ‘उत्थ‍ित आसन’ भी कहते हैं। कुछ ‘वक्रसान’ कहते हैं।

आसन की व‍िध‍ि

दोनो पैरों के अंगूठे तथा एड़ियां आपस में सटाकर, सीधे तनकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाइए। किसी कुर्सी की बनावट का अध्‍ययन कीज‍िए। ट‍िकने वाला सीधा खड़ा भाग, बैठक का सीधा-भूम‍ि के समानांतर-भाग फ‍िर लंबवत् खड़े हुए पैर। शरीर को भी ठीक कुर्सी जैसे आसन में स्‍थ‍िर रखना है। देखने में या अत्‍यंत आसान द‍िखता है लेकिन बेहद दुष्‍कर भी है।

योगासन की सावधान मुद्रा में पैर के पंजे सटाकर खड़े हाइए। घुटनों को थोड़ा सा आगे झुकाकर संतुलन बनाते हुए इस प्रकार मोड़‍िए क‍ि जांघें और नितंब पृथ्‍वी के समानांतर स्‍थ‍ित हो जाएं। कमर के ऊपर के भाग को यथासंभव सीधा रख‍िए। वैसे संतुलन के ल‍िए आगे झुकाकर भी रख सकते हैं। दोनों हाथ भी कोहनी से मोड़कर पृथ्‍वी के समानांतर ही रख‍िए। जांघों के नीचे से बांध भी सकते हैं।

आसन के लाभ
  • घुटने, टखने, जांघों के जोड़ व अस्‍थ‍िबंधन सुदृढ़ तथा स्‍वस्‍थ होते हैं।
  • पैरों के पंजे, पिंडल‍ियां, जांघें, कमर आद‍ि को मासपेश‍ियां लचीली, स्‍वस्‍थ व मजबूत होती हैं।
  • मह‍िलाओं को गर्भावस्‍था के पूर्व ही इसका अभ्‍यास करने से प्रसव-काल में होने वाले कष्‍ट अथवा उलझाव आद‍ि का सामना नहीं करना पड़ता।
  • पुरूषों में पौरूष वृद्ध‍ि एवं वीर्य तथा शुक्राणुओं में वृद्ध‍ि होती है।
  • कब्‍ज, अपच तथा गैस बनने की श‍िकायत दूर होकर उदर रोगों से छुटकारा मिलता है।

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