तीनमुखी रूद्राक्ष ब्रह्मरूप है। इसे धारण करने से जन्म-जन्मांतरों में देह से किये गये सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। तीनमुखी रूद्राक्ष धारणकर्ता को कमी, पराजय नहीं होती, वो कभी भी मुसीबतों में नहीं फंसता। इसका संचालक ग्रह मंगल है। मंगल को ज्योतिषशास्त्र में सेनापति का दर्जा दिया गया है। यह अग्निरूप है।
मंगल ग्रह रक्त, मस्तक, ग्रीवा, कान, अण्डकोष, हड्डियों का आंतरिक तत्व मज्जा, जननेन्द्रिय, गुर्दा, लाल रक्त काण विटामिन-के इन सबों का कारक है। मंगल यदि किसी भी दुष्प्रभाव में होता है तो उसे रक्त रोग, हैजा, प्लेग, चेचक, रक्तचाप, शक्ति-क्षीणता, नारी अंगरोग, अस्थिभ्रंश, बवासीर, मासिकधर्म रोग, अल्सर, अतिसार, चोट लगना और घाव आदि रोग होते हैं।
जन्मकुण्डली में मंगल की प्रतिकूूल स्थिति से विवाह आदि प्रसंग में मंगल दोष उत्पन्न होते हैं। यह गर्भपात का भी कारक ग्रह है। मंगल ग्रह हो प्रतिकूलता से उत्पन्न इन सभी रोगों के निदान और निवारण के लिये तीनमुखी रूद्राक्ष आवश्यक रूप से अवश्य धारण करना चाहिये। जिनकी राशि वृश्चिक और मेष है, उनके लिये तो तीनमुखी रूद्राक्ष ही भाग्योदयकारी है।
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