Sunday, April 28, 2024

केले की खेती कर कमाएं लाखों, सरकारी योजनाएं और ऋण सुविधाएं

केले की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण खेती है जो कि विभिन्न भागों में की जाती है। यह एक सुगंधित, पौष्टिक और सस्ता फल होता है, जिसकी विभिन्न उपयोगिता होती है। इस लेख में, हम केले की खेती के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे, जो आपके ल‍िए उपयोगी साब‍ित हो सकती है।

केले की खेती के लिए मौसम

केले की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम उमस और गर्मी का होता है। केले के पौधे को ठंडी से बचाने के लिए अधिकतम तापमान कम से कम 15 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। इसके अलावा, बारिश भी अच्छी मात्रा में होनी चाहिए, क्योंकि पानी की अच्छी आपूर्ति पौधों के विकास के लिए आवश्यक होती है। गर्मी के मौसम में पौधों का विकास अच्छी गति से होता है और उनका प्रतिरक्षणशीलता बढ़ती है। इसलिए, उमस और गर्मी के मौसम को केले की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

केले की खेती के लिए मिट्टी का चयन

केले की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी मानवनीय, हल्की, और गहरी होनी चाहिए। यह मिट्टी अच्छी ड्रेनेज प्रदान करती है, जिससे पानी का निचला भाग ठीक से निकल सके। इसके साथ ही, केले की खेती के लिए मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यह मिट्टी पोषण सामग्री को अच्छे से अवशोषित करने में सहायक होती है और केले के पौधों की उत्पादकता को बढ़ाती है। इसलिए, केले की खेती के लिए मिट्टी की यह गुणवत्ता महत्वपूर्ण है।

केले के पौधे कैसे लगाएं

सबसे पहले, एक अच्छा विकल्प है स्‍वस्‍थ केले के पौधे का चयन करना। केले के पौधे लगाने से पहले, खेत को तैयार करें।प्रत्येक पौधे के लिए लगभग 2x2x2 फीट के छोटे गड्ढे खोदें और उन्हें तैयार करें। पौधे को गड्ढे में ध्यानपूर्वक रखें और उसके चारों ओर मिट्टी को अच्छे से ढंक दें। ध्यान दें कि पौधा गहराई में उत्तम स्थिति में हो।

केले की खेती में खाद का प्रयोग

केले की खेती के लिए सबसे अच्छी खाद उपज क्षेत्र की मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर निर्भर करती है। हालांकि, कुछ मुख्य खाद्य तत्वों को केले की खेती में प्रमुख रूप से उपयोग में लाया जाता है।

  • नाइट्रोजन पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। केले की खेती में नाइट्रोजन की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
  • फॉस्फोरस पौधों के मजबूत जड़ों और फूलने के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह पौधों के विकास के लिए आवश्यक है।
  • पोटाश पौधों के फलों के विकास के लिए आवश्यक होता है और उनकी स्थायित्व को बढ़ाता है।

इन खादों को सही मात्रा में और उचित रूप से प्रदान करने से, केले के पौधों की उपजा में वृद्धि होती है और उत्पादकता बढ़ती है। इसलिए, सबसे अच्छी खाद वह होती है जो मिट्टी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करती है और पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्वों से पूर्ण करती है।

केले के पौधों का स‍िंचाई प्रबंधन
  • बूंद सिंचाई: केले की खेती में प्रमुख सिंचाई की विधि बूंद सिंचाई होती है। इसमें पानी को नल से उचित इंटरवल के साथ सिंचा जाता है, जिससे पौधों को उचित मात्रा में पानी मिले।
  • धारा सिंचाई: अधिक समय तक स्थिरता से पानी की आपूर्ति के लिए धारा सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए नाले या कुएं से पानी निकालकर कृषि क्षेत्र में धारा बनाई जाती है और पानी को धारा के माध्यम से बुआई क्षेत्रों में ले जाया जाता है।
  • ट्रिकल सिंचाई: किसान ट्रिकल सिंचाई तकनीक का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसमें पाइपिंग या ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से सीधे पानी का सप्लाई किया जाता है। इस तकनीक में पानी का निर्माणशीलता बचत होती है और पौधों को बेहतर पोषण प्रदान किया जाता है।
  • बारिश सिंचाई: अगर उपयुक्त वर्षा आती है, तो किसान केले के पौधों को बारिश के पानी से सिंचा सकते हैं। इससे पानी की बचत होती है और पौधों को पोषण मिलता है।
  • संसाधनों का उपयोग: केले की खेती के लिए जल वायवीय संसाधनों का उपयोग करके विशेषज्ञ विश्लेषण और सिंचाई की योजना बनाई जा सकती है। इसमें पौधों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सिंचाई की योजना तैयार की जाती है ताकि पानी की बचत हो और पौधों को अधिकतम लाभ मिले।
कटाई और भण्‍डारण

केले की खेती में फलों की सही कटाई और भंडारण की तकनीक भी महत्वपूर्ण है। सही समय पर कटाई करें और उन्हें उचित रूप से भंडारित करें ताकि उनकी दशा खराब न हो।

नई तकनीकों का चयन

केले की खेती में नए तकनीकी उपायों का भी उपयोग किया जा सकता है। समय के साथ बदलते परिस्थितियों में नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करें और उन्हें अपनाएं।

कितने वर्षों तक देते हैं फल

केले के पौधे आमतौर पर 8 से 10 वर्षों तक फल देते हैं। इसके बाद, उन्हें नए पौधों से बदल देना चाहिए ताकि उत्पादकता बनी रहे। यह सलाह दी जाती है कि केले के पौधों को हर 8 से 10 वर्षों में बदला जाए ताकि उत्पादकता बनी रहे और फलों की गुणवत्ता भी बनी रहे।

एक वर्ष में तीन बार देते हैं फल

केला एक साल में आमतौर पर तीन बार फल देता है। केले का पौधा वार्षिक फलने वाला होता है, जिसमें प्रमुखतः तीन फसलें होती हैं। यह फसलें अलग-अलग समयों पर होती हैं, लेकिन आमतौर पर बसंत, ग्रीष्म, और शरद ऋतु में फसलों की उपज होती है। इन तीनों फसलों के दौरान केले का फल प्राप्त होता है। इस तरह, केला एक साल में तीन बार फल देता है।

एक एकड़ भूमि में कितने पौधे लगाएं

एक एकड़ भूमि में केले के पौधे लगाने की संख्या भिन्न-भिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि कृषि क्षेत्र का प्रकार, रोगों और कीटों की समस्याएं, और उपयुक्त प्रबंधन का स्तर। लेकिन सामान्य रूप से, एक एकड़ भूमि में लगभग 1000 से 1500 केले के पौधे लगाए जा सकते हैं। यह आम रूप से उपज के अनुसार अन्यायित किया जाता है ताकि प्रति एकड़ से अधिक उपज हो सके।

सरकारी योजनाएं और ऋण सुविधाएं
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): यह योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है और उसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा प्रदान करना है। केले की खेती में भी इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
  • कृषि ऋण: कृषि विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को कृषि ऋण प्रदान किए जाते हैं, जिससे उन्हें केले की खेती के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने में सहायता मिलती है।
  • कृषि सब्सिडी: केंद्रीय और राज्य सरकारें कृषि सेक्टर में विभिन्न सब्सिडी योजनाओं का प्रदान करती हैं, जिसमें बीज, खाद, और कृषि उपकरणों को सस्ते दरों पर प्रदान किया जाता है।
  • कृषि बीमा योजना: कृषि बीमा योजनाएं किसानों को अकाली बारिश या अन्य आपदा से होने वाले नुकसान से संरक्षित करती हैं। इससे केले की खेती के नुकसान का भुगतान किया जा सकता है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को आसानी से कृषि ऋण प्राप्त करने में मदद मिलती है, जो केले की खेती के लिए उपयोगी हो सकता है।

इन सरकारी योजनाओं और ऋण सुविधाओं का उपयोग करके केले की खेती को अधिक उत्तम तकनीकी और सुरक्षित बनाने में किसानों को मदद मिलती है।

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