भारतीय स्वतंत्रता के अग्रदूत तथा निर्भयता से राष्ट्र की वेदना को प्रकट करने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति बाल गंगाधर तिलक थे। उन्होंने उदारवादियों के वैधानिक आंदोलन को एक वास्तविक राष्ट्रीय आंदोलन और जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित कर दिया।
बाल गंगाधर तिलक की देशभक्ति, साहस, स्वतंत्र और सबल राष्ट्रीय प्रवृत्ति और इन सबके ऊपर देश और देशवासियों की एकनिष्ठ सेवा के कारण उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं और स्वतंत्र भारत के निर्माताओं में उच्च स्थान प्राप्त है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश किया और अपने क्रांतिकारी विचार कांग्रेस सदस्यों के समक्ष रखें। उन्होंने गौ-हत्या विरोधी सोसायटियों, अखाड़े और व्यायामशालाएं खोली, गणपति उत्सव और शिवजी उत्सव का आयोजन की शुरूआत की और इन सभी कार्यों के माध्यम से सामान्य जनता और नवयुवकों को देश की स्वतंत्रता के प्रति संघर्ष और त्याग करने की प्रेरणा प्रदान की।
बाल गंगाधर तिलक देशप्रेम की ज्योति जगाने वाले सर्वप्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वाराज्य प्राप्ति को अपना जन्मसिद्ध अधिकार घोषित किया। तिलक स्वतंत्रता संग्राम के सेनापति और राजनीतिज्ञ ही नहीं, उच्च कोटि के विद्वान भी थे।
लोकमान्य प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंन सामान्य जनता को राष्ट्रीय आंदोलन के साथ जोड़ा और इस कार्य को बीसवीं सदी में महात्मा गांधी ने तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया।
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